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कुंभ के बाद हरिद्वार के अखाड़ों में मचा बवाल, संतों ने अफसरों पर किया पथराव, जानिए क्या है वजह 

जिला प्रशासन ने तीन घंटे की जद्दोजहद के बाद शनिवार को बैरागी कैंप से तीनों बैरागी अखाड़ों के अतिक्रमण ध्वस्त कर दिए। आखिरी दौर में गुस्साए बैरागी संतों ने पथराव तक किया। इससे अधिकारियों को जान बचाकर...

कुंभ के बाद हरिद्वार के अखाड़ों में मचा बवाल, संतों ने अफसरों पर किया पथराव, जानिए क्या है वजह 
हिन्दुस्तान टीम, हरिद्वारSun, 16 May 2021 12:40 PM
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जिला प्रशासन ने तीन घंटे की जद्दोजहद के बाद शनिवार को बैरागी कैंप से तीनों बैरागी अखाड़ों के अतिक्रमण ध्वस्त कर दिए। आखिरी दौर में गुस्साए बैरागी संतों ने पथराव तक किया। इससे अधिकारियों को जान बचाकर भागना पड़ा। सीओ सिटी अभय प्रताप ने बामुश्किल इस मामले को संभाला। प्रशासन की टीम ने भारी फोर्स के बीच एक मंदिर और निर्माणाधीन संत निवास समेत तमाम अतिक्रमण ढहाया। शनिवार की सुबह 11 बजे जिला प्रशासन की टीम भारी पुलिस फोर्स के साथ बैरागी कैंप पहुंची।

बैरागी संतों को पहले ही टीम के आने की भनक लग गई थी। एक अखाड़े में सभी बैरागी संत जमा थे। टीम को देख श्री महंत राजेंद्र दास ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें कोसना शुरू कर दिया। प्रशासनिक अफसरों ने दो घंटे तक संतों को समझाया कि वे कोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण हटाने आए हैं। लेकिन, संत सुनने को तैयार नहीं थे। इसके बाद कुछ संत जाकर निर्माणाधीन आवास के नीचे जाकर बैठ गए। बड़ी मुश्किल से अफसरों ने संतों को बाहर निकाला। पुलिस से संतों की नोकझोंक भी हुई। टीम अपने संग जेसीबी और पॉकलैंड लेकर आई थी। वहीं, श्रीमहंत राजेंद्र दास यहां तक बोल गए कि, ये कुछ नेता हैं जो ये सब करा रहे हैं। जो भी अधिकारी ये सब करा रहे हैं उनका वंश निरवंश हो जाएगा।

सबसे पहले दिगंबर अखाड़े का मंदिर ध्वस्त: यहां सबसे पहले दिगंबर अखाड़े का मंदिर ध्वस्त किया गया। इससे पहले ही बैरागियों ने मंदिर से मूर्ति को निकाल लिया था। फिर टीम ने बाड़ और निर्माणाधीन निवास ध्वस्त किया। जब टीम श्रीमहंत राजेंद्र दास के अखाड़ा गई तो संतों ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर पथराव कर दिया। अफसर जान बचाने के लिए वहां से दौड़ पड़े।

अखाड़ा परिषद से हुए थे अलग
हरिद्वार। इसी साल कुंभ के दौरान ही तीनों बैरागी श्रीमहंतों ने अखाड़ा परिषद से किनारा करते हुए अपना वैष्णवी अखाड़ा परिषद का गठन कर लिया था। शनिवार जब प्रशासन की टीम अतिक्रमण हटाने पहुंची तो बाकी अखाड़ों के संतों ने चुप्पी साधे रखी। 

एक बार फिर अखाड़ा परिसर में बड़ा विवाद
कुंभ मेले के दौरान बैरागी कैंप में जिस अखाड़ा परिसर में पूर्व अपर मेला अधिकारी हरबीर सिंह के साथ मारपीट का प्रयास किया गया था, शनिवार को उसी अखाड़ा परिसर में अधिकारियों से नोकझोंक कर धक्का देकर निकालने का प्रयास किया गया। 

भाजपा से अच्छा था मुगल शासनकाल’
श्री महंत राजेंद्र दास ने कहा कि बैरागी में सदियों से रहते आ रहे हैं। अधिकारियों को केवल अतिक्रमण बैरागियों का दिखाई दे रहा है। बैरागी कैंप में इतना अतिक्रमण फैला हुआ है। भाजपा सरकार केवल कहने भर को हिन्दुओं की है। इनसे अच्छा शासन काल को मुगलों का था। वे कम से कम ऐसे तो नहीं थे। श्रीमहंत राजेंद्र दास बोले अगर अधिकारियों ने पहले से ही सही कलम चलाई होती तो तो ये हालात पैदा न होते। अधिकारियों ने पैसा खाकर बैरागी कैंप में कब्जे कराए हैं। उन्होंने कहा कि शासन नाम की अगर कोई चीज है तो पहले पूरा का पूरा बैरागी कैंप खाली कराया जाए। 

बैरागियों के उग्र तेवरों के आगे दो अतिक्रमण छोड़े
हरिद्वार। बैरागी कैंप में बैरागी संतों के तेवरों के आगे एक मंदिर तोड़ने के बाद दो अखाड़ों के छोड़े गए दो मंदिरों को लेकर सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि इन्हीं दो अखाड़ों में संतों ने नाराजगी दिखाने के साथ उग्र तेवर दिखा दिए थे। अफसर सब्र से काम न लेते तो बड़ी घटना से 
भी इनकार नहीं किया जा सकता था। 

कार्रवाई होनी तय देख संतों ने सरकार से मांगी थी भूमि
बैरागी अखाड़ों को पहले से ही कार्रवाई की सूचना थी। कुंभ मेले के बाद यह होना तय था। यही वजह थी कि बैरागी श्रीमहंतों ने 28 अप्रैल को दून में सीएम से मिलकर बैरागियों को स्थायी जमीन देने की मांग की थी। कुंभ मेले के दौरान और बाद में बैरागी संत तीरथ सरकार का गुणगान करते दिख आ रहे थे। पर, जब प्रशासन शनिवार को दल बल के साथ पहुंचा तो श्रीमहंतों ने भाजपा सरकार की तुलना मुगल शासनकल से कर दी। 

 

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