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महिलाओं-बच्चों में खून की कमी से लेकर एक्सपर्ट को इस बात की चिंता, स्वास्थ्य पर भयावह हैं आंकड़े

एनिमिया यानि रक्त की कमी की बीमारी के मामले में उत्तराखंड देश के 12 पर्वतीय राज्यों में नवें नंबर पर है। राज्य की 13.9 प्रतिशत महिलाओं का बॉडी मॉस इंडेक्स 18 अंक से नीचे हैं।

Himanshu Kumar Lall देहरादून, चंद्रशेखर बुड़ाकोटी, Mon, 29 July 2024 07:16 AM
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नीति आयेाग की सतत विकास के लक्ष्य (एसडीजी) हासिल करने वाले राज्यों की रैंकिंग में भले ही उत्तराखंड केरल के साथ नंबर वन है। लेकिन अब भी कई सेक्टर हैं, जिन पर काम करने की बेहद गुंजाईश है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य से से जुड़ा विषय है।

एसडीजी के दूसरे मानक जीरो हंगर में के मानकों में उत्तराखंड 11 वें नंबर पर है। राज्य की मजबूत इच्छाशक्ति वाली महिलाएं की परिवार में भूमिका तो अहम है, लेकिन स्वास्थ्य के लिहाज से उनकी स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है।

एनिमिया यानि रक्त की कमी की बीमारी के मामले में उत्तराखंड देश के 12 पर्वतीय राज्यों में नवें नंबर पर है। राज्य की 13.9 प्रतिशत महिलाओं का बॉडी मॉस इंडेक्स 18 अंक से नीचे हैं। इसमें राज्य आठवें पायदान पर है।

पांच साल तक की आयु के अंडरवेट बच्चे (रैंकिंग 06)
उत्तराखंड में ऐसे बच्चों की संख्या 21 प्रतिशत है। जो कई राज्यों के मुकाबले काफी ज्यादा है। अरूणाचल में 15, मणिपुर में 13, मिजोरम में 12.7, सिक्किम में 13.1 बच्चे ही अंडरवेट यानि तय मानक से कम वजन के हैं।

ऐसे बच्चे जिनका विकास अवरूद्ध (रैंकिंग 04)
इस श्रेणी में राज्य के 27 बच्चे हैं। मणिपुर, सिक्किम, जम्मू कश्मीर के बाद बाकी आठ राज्यों में यह प्रतिशत और ज्यादा है।

बॉडी मॉस 18 से कम वाली महिलाएं
(रैंकिंग 08): उत्तराखंड की 13.9 प्रतिशत महिलाओं का बाड़ी मास इंडेक्स 18 से कम है। इस मानक पर उत्तराखंड का क्रम आठवें पायदान पर है।

रक्त की कमी की शिकार महिलाएं (रैंकिंग 09)
उत्तराखंड में 46.4 प्रतिशत महिलाएं को एनिमिया का शिकार पाया गया है। उत्तराखंड के बाद सबसे ज्यादा खराब स्थिति लद्दाक की है। यहां यह समस्या 78 प्रतिशत महिलाओं में है। त्रिपुरा में 61 और असर में 54 प्रतिशत महिलाएं रक्त की कमी से पीड़ित हैं।

राज्य में बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य और विकास को फोकस करते हुए कई योजनाएं चलाई जा रही है। आंगनबाड़ी के जरिए नन्हें बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए नियमित रूप से दूध, केले अंडे भी दिए जाते हैं। महिलाओं को भी इसी प्रकार पौष्टिक आहार मुहैया कराने की व्यवस्था है।
रेखा आर्या, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री
 

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