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कोरोना-डेंगू के बाद कोल्ड डायरिया की दस्तक ने डराया-बच्चों पर ज्यादा खतरा, जानें कैसे करें बचाव

कोरोना, डेंगू के खतरे के बीच अब कोल्ड डायरिया ने भी दस्तक दे दी है। मौसम में बदलाव के साथ ही एसटीएच और बेस अस्पताल की ओपीडी में कोल्ड डायरिया से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ रही है। अचानक बढ़ रही ठंड...

कोरोना-डेंगू के बाद कोल्ड डायरिया की दस्तक ने डराया-बच्चों पर ज्यादा खतरा, जानें कैसे करें बचाव
कार्यालय संवाददाता, हल्द्वानीMon, 08 Nov 2021 01:41 PM

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कोरोना, डेंगू के खतरे के बीच अब कोल्ड डायरिया ने भी दस्तक दे दी है। मौसम में बदलाव के साथ ही एसटीएच और बेस अस्पताल की ओपीडी में कोल्ड डायरिया से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ रही है। अचानक बढ़ रही ठंड इसका कारण बताई जा रही है। डॉक्टरों ने लोगों से कोल्ड डायरियों को लेकर सावधानी बरतने और बच्चों का विशेष ख्याल रखने की अपील की है। मौसम बदलने के साथ ही शहर में कोल्ड डायरिया के मरीज भी सामने आने लगे हैं।

कोल्ड डायरिया के पीड़ितों में बच्चों की संख्या ज्यादा है। बेस अस्पताल में बच्चों की 100 से ज्यादा की ओपीडी हो रही है, जिसमें 8-10 मरीज प्रतिदिन कोल्ड डायरिया से पीड़ित आ रहे हैं। वहीं एसटीएच में बाल रोग विभाग की 120 की प्रतिदिन की ओपीडी में करीब 7 से ज्यादा कोल्ड डायरिया के मरीज पहुंच रहे हैं। मेडिसन की ओपीडी में भी उम्रदराज लोग कोल्ड डायरिया की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि बदलते मौसम में विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है।

मांसपेशियों को नुकसान
विशेषज्ञों का कहना है कि कोल्ड डायरिया के सबसे ज्यादा मामले शुरुआती ठंड में होते हैं। यह बीमारी मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाती है और संक्रमण के चलते उल्टी-दस्त की समस्या शुरू हो जाती है। 

क्या है कोल्ड डायरिया
विशेषज्ञों का कहना है कि कोल्ड डायरिया भी सामान्य डायरिया की तरह ही होता है। इसमें पीड़ित को सर्दी-जुकाम के साथ बुखार की समस्या होती है। इसके बाद बच्चे रोट्रा व नोरो वायरस की चपेट में आकर उल्टी-दस्त करने लगते हैं, जिससे शरीर में डिहाइड्रेशन का खतरा रहता है। इस बीमारी के लक्षण दिखते ही विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

परिजन छोटे बच्चों को लेकर बरतें सावधानी
कोल्ड डायरिया से छोटे बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसको लेकर परिजनों को बच्चों के प्रति ठंड में सावधानी बरतनी चाहिए। कोल्ड डायरिया शिशुओं और बच्चों को उनके शरीर के डिहाइड्रेट होने और सर्दी-जुकाम होने से आसानी से पकड़ लेता है। विशेषज्ञों का कहना है कि नवजात के मामले में परिजन बिल्कुल भी लापरवाही न बरतें और तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। 

समस्या- कोल्ड डायरिया में लूज मोशंस, भूख न लगना, कंपकंपी लगना, बॉडी में पानी की कमी के साथ पैरों में ऐठन, दिनभर सुस्ती बने रहना, पेट में दर्द आदि की समस्याएं बढ़ जाती हैं। 

समाधान-बच्चों को हमेशा पूरे कपड़े पहनाकर रखें। बाहर खेलने जाते समय भी जरूरत के अनुसार गर्म कपड़ें पहनाएं। गुनगुना पानी और गर्म भोजन ही दें। उनके सामने छींकने या खांसने से बचें।

ठंड बढ़ने के साथ ही बच्चों में कोल्ड डायरिया की शिकायत सामने आ रही है। ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। बच्चों व नवजात में डायरिया के लक्षण होने पर परिजन उसे गंभीरता से लें और डॉक्टर से परामर्श करें।
डॉ. रितु रखोलिया, वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ, एसटीएच

बेस अस्पताल में 8 से 10 कोल्ड डायरिया से पीड़ित बच्चे आ रहे हैं। शुरुआती ठंड में बच्चों का विशेष ख्याल रखने की जरूरत है। बेस अस्पताल में कोल्ड डायरिया का आसानी से इलाज होता है, परिजन लापरवाही न बरतें।
डॉ. नीरज त्रिपाठी, वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ, बेस अस्पताल

 

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