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उत्तराखंड में पर्यटन के लिए खुलेगा खजाना, 15वां वित्त आयोग करेगा मदद

15वां वित्त आयोग राज्य को पर्यटन और ईकोलॉजिकल हब बनाने में मदद करेगा। साथ ही राज्य की रेवेन्यू डैफिसिट ग्रांट और ग्रीन बोनस की मांगों पर भी आयोग ने सकारात्मक दृष्टिकोण दिखाया है। 15 वें वित्त आयोग...

उत्तराखंड में पर्यटन के लिए खुलेगा खजाना, 15वां वित्त आयोग करेगा मदद
देहरादून, वरिष्ठ संवाददाताWed, 17 Oct 2018 11:25 AM
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15वां वित्त आयोग राज्य को पर्यटन और ईकोलॉजिकल हब बनाने में मदद करेगा। साथ ही राज्य की रेवेन्यू डैफिसिट ग्रांट और ग्रीन बोनस की मांगों पर भी आयोग ने सकारात्मक दृष्टिकोण दिखाया है।

15 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह ने मंगलवार को सचिवालय में पत्रकारों से कहा कि उत्तराखंड में पर्यटन, प्राकृतिक संसाधन और पर्याचरण संरक्षण की अपार संभावनाएं हैं। 15 वां वित्त आयोग इस क्षेत्र में राज्य को हर संभव मदद की सिफारिश करेगा। 15 वें वित्त आयोग की सिफारिशें 2020 से 2025 तक लागू रहेंगी।

एनके सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री ने 14 वें वित्त में राज्य को हुए नुकसान का विवरण रखा है। लगता है कि रेवेन्यू डैफिसिट ग्रांट नहीं मिलने से भी राज्य को नुकसान हुआ। 15 वें वित्त आयोग में इस ग्रांट पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।

ग्रीन बोनस पर विचार होगा
एनके सिंह ने कहा कि पर्यावरणीय सेवाओं के बदले राज्य की जरूरतों पर विचार किया जाएगा। जीएसटी के नुकसान का अध्ययन करने के साथ ही आयोग आपदा से निपटने के लिए मजबूत संरचनात्मक ढांचे के विकास पर भी ध्यान देगा। इस अवसर पर आयोग के सदस्य शक्ति कांत दास, अशोक लाहिड़ी, डॉ अनूप सिंह, डॉ रमेश चंद्र, अरविंद मेहता सहित राज्य सरकार के अनेक अफसर मौजूद थे।

सरकार ने मांगा सात हजार करोड़ ग्रीन बोनस
राज्य सरकार ने 15वें वित्त आयेाग से 6 हजार 832 करोड़ ग्रीन बोनस दिए जाने की मांग की है। मंगलवार को सचिवालय में 15 वें वित्त आयोग के सामने राज्य की वन संपदा का ब्योरा पेश करते हुए कहा गया कि राज्य में कुल 14 लाख 13 हजार 676 करोड़ के बराबर वन संपदा है। जिसकी 95 हजार 113 करोड़ की फ्लो वैल्यू है। सरकार ने अनुरोध किया कि इस वन संपदा में से 15 वां वित्त आयोग 6 हजार 832 करोड़ ग्रीन बोनस के रूप में दे। बैठक के दौरान अधिकारियों ने बताया कि 14 वें वित्त आयोग ने अपनी सिफारिशों में राज्य की पर्यावरणीय सेवाओं का मूल्यांकन 7.5 प्रतिशत किया। इस बार फार्मूले में बदलाव कर पर्यावरणीय सेवाओं का मूल्य कम से कम 15 प्रतिशत करने की मांग की गई है।

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