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'बुढ़िया का सपना' नाटक से अंधविश्वास पर कटाक्ष किया

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि के लोक कला संस्कृति निष्पादन केंद्र की ओर से आयोजित बाल नाट्योत्सव(जश्न-ए-बचपन) के दूसरे दिन ललित सिंह पोखरिया के नाटक 'बुढ़िया का सपना' का मंचन किया गया।...

'बुढ़िया का सपना' नाटक से अंधविश्वास पर कटाक्ष किया
हिन्दुस्तान टीम,श्रीनगरFri, 19 Apr 2019 03:09 PM
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हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि के लोक कला संस्कृति निष्पादन केंद्र की ओर से आयोजित बाल नाट्योत्सव(जश्न-ए-बचपन) के दूसरे दिन ललित सिंह पोखरिया के नाटक 'बुढ़िया का सपना' का मंचन किया गया। राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय श्रीकोट गंगानाली के बाल कलाकारों की अभिनय एवं संवाद प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोहा।

नाटक की कथावस्तु एक गांव के अंधविश्वासी लोगों पर केंद्रित है। जिसके कारण लोग उसी गांव में रहने वाली बुढ़िया के जाल में फंस जाते हैं। वह उसको देवी समझ कर हर महीने अपने घर का रुपया-पैंसा देते रहते हैं। इससे गांव वालों की स्थिति भूखों मरने जैसे होने लगती है। गांव में एक मास्टरनी आकर बुढ़िया का भंडा फोड़ कर गांव वालों की आंखें खोलकर उनका अंधविश्वाश खत्म करती है। इस नाटक में के विद्यर्थियो ने अभिनय किया। नाटक का निर्देशन मधुसूदन पांडेय व वीरेंद्र कुमार सहित लोक कला और संस्कृति निष्पादन विभाग के विद्यार्थियों ने किया। नाटक में भावना, गौरी, रूबी, ममता, सिमरन, अंजलि, दिव्या व शिवानी, विजय, तृप्ति व गोपाल के अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा। लोक कला संस्कृति निष्पादन केंद्र के शिक्षक डा. संजय पांडेय व डा. अजीत पंवार ने कहा कि नाटकों का आयोजन 21 अप्रैल तक किया जाएगा।

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