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देश में बीते 45 साल में गेहूं मूल्य 19 तो कर्मचारियों का वेतन 320 गुना बढ़ा

-पंतनगर विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस को कर रहे थे संबोधित पंतनगर विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर कहा कि देश को आजाद हुए 70 वर्ष से अधिक और देश में 60 से अधिक कृषि विश्वविद्यालय होने के बाद भी किसान...

देश में बीते 45 साल में गेहूं मूल्य 19 तो कर्मचारियों का वेतन 320 गुना बढ़ा
हिन्दुस्तान टीम,रुद्रपुरSat, 17 Nov 2018 07:39 PM
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कृषि विश्लेषक देवेन्द्र शर्मा ने पंतनगर विवि के स्थापना दिवस समारोह में कृषि शोध की दिशा बदलने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि देश आजाद हुए 70 वर्ष और देश में 60 से अधिक कृषि विवि होने के बाद भी किसान की सालाना आय 50-60 हजार रुपये ही है। बदहाली के चलते किसान आत्महत्या को मजबूर हो रहे हैं। ऐसे में पूरे कृषि शोध में बदलाव किए जाने की जरूरत है। पूरा कृषि परिदृश्य ही दुरुस्त करना जरूरी है। शनिवार को विश्वविद्यालय स्थापना दिवस पर गांधी हाल में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि कृषि विश्लेषक देवेंद्र शर्मा ने कहा कि वर्ष 1970 से 2015 के बीच 45 साल में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 76 रुपये प्रति कुंतल से 1450 रुपये प्रति कुंतल पहुंचा है। इसमें 19 गुना बढ़ोत्तरी हुई, जबकि एक सरकारी कर्मी के वेतन-भत्ते 150 गुना, कॉलेज-विवि के शिक्षकों के वेतन-भत्ते में 170 गुना और स्कूलों के शिक्षकों के वेतन-भत्ते 320 गुना तक बढ़ गए हैं। ऐसे में किसान को गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 100 गुना भी दिया जाये तो भी उसे वर्ष 2015 में करीब 7600 रुपये प्रति कुन्तल होना चाहिए था। उन्होंने शिक्षण शोध और प्रसार के ढांचे में बदलाव के साथ-साथ प्रयोगशाला से खेतों के बजाय खेतों से प्रयोगशाला की ओर कृषि को ले जाने की जरूरत बताई। साथ ही पारिस्थितिकी मूल्यांकन करने, आर्थिक योजनाओं पर ध्यान देने, विभागों के बीच में समन्वय और उत्तराखंड सरकार के ग्रीन बजट पर काम करने का सुझाव दिया। समारोह में कुलसचिव डॉ. एपी शर्मा, डॉ. एसके कश्यप आदि मौजूद रहे।पर्वतीय क्षेत्र आनुवांशिकी संसाधनों की खान: डॉ. प्रतापपंतनगर। कुलपति डॉ. तेज प्रताप ने कहा कि उत्तराखंड में पलायन रोकने की जगह वहां ऐसी परिस्थितियां बनाने की जरूरत है, जिससे लोग पलायन न करें। उन्होंने वैज्ञानिकों से पर्वतीय क्षेत्रों में जाकर वहां की स्थिति समझने और फसलों पर शोध करने को कहा। पर्वतीय क्षेत्रों को उन्होंने आनुवांशिकी संसाधनों की खान बताते हुए कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मनरेगा जैसी योजनाओं के बाद खाद्य सुरक्षा मिलने से किसान वैज्ञानिकों के साथ शोध में रुचि ले सकते हैं, जिसका फायदा उठाया जाना चाहिए। उन्होंने वैज्ञानिकों से नई तकनीकों जैसे होमा फार्मिंग और मृदा जीवाणुओं पर भी ध्यान देने को कहा। उत्कृष्ट विद्यार्थी सम्मानितपंतनगर। कार्यक्रम में महाविद्यालयों के उत्कृष्ट विद्यार्थियों को अवार्ड और स्कॉलरशिप दिए गए। इसमें डॉ. ध्यान पाल सिंह मेमोरियल एक्सीलेंस अवॉर्ड 2017-18 गृह विज्ञान महाविद्यालय की प्रियंका गिनवाल को दिया गया। अमित गौतम मेमोरियल अवॉर्ड 2017-18 प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के पीयूष चौहान, मेरिट स्कालरशिप फॉर एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग स्टूडेंट 2017-18 प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के दीपक त्रिपाठी और अम्बुज, वरूण पंवार मेमोरियल अवॉर्ड 2017-18 कृषि महाविद्यालय के चार विद्यार्थियों, शुभम मुरडिया, कायनात, श्रेया परिहार, रुचि नेगी को दिया गया। कुलपति डॉ. तेज प्रताप ने सभी विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र, अवॉर्ड और स्कालरशिप के चेक प्रदान किये।

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