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तराई में हैंडपंप के पानी में शीशा और ऑर्सेनिक की मात्रा 5 प्रतिशत अधिक

राजकीय इंटर कॉलेज में आयोजित संगोष्ठी में नैनीताल भूगर्भ वैज्ञानिक विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बीएस कोटलिया ने बताया की ऊधम सिंह नगर के हैंडपंप में मानक से 5 गुना अधिक शीशा और ऑर्सेनिक पाया जा रहा...

तराई में हैंडपंप के पानी में शीशा और ऑर्सेनिक की मात्रा 5 प्रतिशत अधिक
हिन्दुस्तान टीम,रुद्रपुरWed, 04 Dec 2019 07:19 PM
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राजकीय इंटर कॉलेज में आयोजित संगोष्ठी में नैनीताल भूगर्भ वैज्ञानिक विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बीएस कोटलिया ने बताया की ऊधमसिंह नगर के हैंडपंप में मानक से 5 गुना अधिक शीशा और ऑर्सेनिक पाया जा रहा है। पानी में शीशा व ऑर्सेनिक की अधिकता स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है।

तराई की अपेक्षा पहाड़ का पानी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।कॉलेज प्रांगण में आयोजित संगोष्ठी में डॉ. कोटलिया ने कहा कि पानी में शीश और ऑर्सेनिक की मात्रा अधिक होने से यकृत, किडनी, तंत्रिका तंत्र में गड़बड़ी, केंसर होने की संभावना रहती है। उन्होंने कहा कि धान की जड़ें आर्सेनिक का स्रोत हैं। यह उसे अपनी ओर खींचती हैं। यह ऑर्सेनिक हेंडपंप के पानी से हमारे शरीर में जाता है। उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी बात यह है कि आरओ और फिल्टर से भी शीशा और ऑर्सेनिक नहीं निकलता है। इस अवसर पर नरेंद्र सिंह रौतेला मनमोहन कुकरेती,संतोष कुमार थे। इधर सिटी कान्वेंट स्कूल में जल जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें यूजीसी साइंटिस्ट ने उत्तराखंड में पीने के पानी की गुणवत्ता के बारे में बताया। डॉ. कोटलिया ने बताया की वह काफी समय से राज्य में ऑर्सेनिक और अन्य प्रदूषक तत्वों के विषय पर शोध कर रहे हैं। इसमें उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्रों की जनसंख्या को जल की गुणवत्ता के प्रति जागरूक करना है। उन्होंने लोगों से पानी को उबाल कर पीने की सलाह दी। इस अवसर पर मोहन चन्द्र उपाध्याय, प्रवीण उपाध्याय,तिलक उपाध्याय,रामदत्त जोशी,रामरतन यादव,पीसी चंदोला मौजूद रहे।

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