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पूर्व मेयर सोनी कोली ने खोला सरकार के फैसले के खिलाफ मोर्चा

निर्वतमान मेयर सोनी कोली और 16 पार्षदों के आगामी चुनाव लड़ने में रोक लगाने के आदेश के खिलाफ कोली ने अपनी पार्टी की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने राज्य सरकार के इस फैसले को गलत बताते हुए...

पूर्व मेयर सोनी कोली ने खोला सरकार के फैसले के खिलाफ मोर्चा
हिन्दुस्तान टीम,रुद्रपुरFri, 21 Sep 2018 07:30 PM
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निर्वतमान मेयर सोनी कोली और 16 पार्षदों के आगामी चुनाव लड़ने में रोक लगाने के आदेश के खिलाफ कोली ने अपनी पार्टी की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने राज्य सरकार के इस फैसले को गलत बताते हुए कहा है कि उनका पक्ष जानकर भी उनके खिलाफ निर्णय लिया गया है। सरकार के फैसले के खिलाफ वह सोमवार को हाईकोर्ट जाएंगी और स्थगनादेश के लिए याचिका दायर करेंगी।

रुद्रपुर में शुक्रवार को एक होटल में पत्रकार वार्ता के दौरान पूर्व मेयर सोनी कोली और उनके पति भाजपा नेता सुरेश कोली ने कहा कि पूर्व सभासद की शिकायत पर चुनाव लड़ने पर रोक लगाई गई है जबकि शिकायतकर्ता खुद नजूल भूमि पर काबिज है। कोली ने कहा कि वह सरकार के इस फैसले के खिलाफ सोमवार को हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगी।

तो चुनाव लड़ने को कहां मिलेंगे नेता

पत्रकार वार्ता में कोली ने कहा कि नजूल भूमि को लेकर की गई यह कार्रवाई सिर्फ मेयर और पार्षदों तक हुई है। बल्कि नजूल भूमि पर तो एक लाख से अधिक लोग काबिज हैं। बस्तियों में नजूल में मकान बनाकर रह रहे लोग मेयर पार्षद का चुनाव नहीं लड़ सकते तो चुनाव लड़ने को लोग कहां से आएंगे। उनके पति का नजूल भूमि या संपत्ति पर कोई कब्जा नहीं था और न वर्तमान में है।

सोसायटी पर दर्ज हो मुकदमा

पूर्व मेयर सोनी कोली ने कहा कि रम्पुरा में उनके पति सुरेश कोली के नजूल पर स्कूल चलाने को लेकर उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाई गई है। जबकि स्कूल सोसायटी चला रही है, जो शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त है। सोसायटी पदाधिकारी पति को कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है। सोसायटी से संचालित स्कूल के कब्जे में यदि कोई नजूल भूमि है तो कार्रवाई सोसायटी एक्ट के तहत सोसायटी पर होनी चाहिए न कि मुझ पर या मेरे पति पर।

अधिकारियों ने किया गुमराह

सुरेश पत्रकार वार्ता में भाजपा नेता सुरेश कोली ने कहा कि अधिकारियों ने सरकार को गुमराह किया है। नगर निगम के अधिकारियों के साथ शहरी विकास विभाग के अधिकारी इस गलत फैसले के लिए जिम्मेदार हैं। एक ओर नगर निगम नजूल पर काबिज लोगों से हाउस टैक्स वसूल करता है और दूसरी ओर उनके चुनाव लड़ने के अधिकार को छीनता है। जिस स्कूल की भूमि को लेकर यह आदेश दिया गया है वह स्कूल भी पट्टे की भूमि पर है।

जानबूझकर टालती रही मामला : रामबाबू

मेयर और पार्षदों के नजूल भूमि पर अवैध कब्जे को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाने वाले पूर्व सभासद रामबाबू ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार जानबूझकर हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी कार्रवाई को टालती रही। इसी वजह से उन्होंने हाईकोर्ट में मामले को लेकर अवमानना याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि उनकी अवमानना याचिका के बाद 3 अप्रैल को शहरी विकास मंत्री की मौजूदगी में बैठक हुई और इसमें मेयर और पार्षदों को अपना पक्ष रखने के लिए 14 दिन का समय दिया गया। जबकि इससे पहले ही इनका कार्यकाल खत्म हो गया था। उन्होंने कहा कि इस बैठक के भी इतने लंबे समय बाद फैसला आया। ऐसे में साफ है कि सरकार ने इस मामले में जानबूझकर लेटलतीफी की है।

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