गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब में छोटे साहिबजादों की वीरता का किया बखान
गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब में आयोजित धार्मिक दीवान के दौरान रागी जत्थों ने छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहीदी की वीरता का वर्णन किया। संगत की आंखें नम हो गईं, जब उन्होंने...
गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब में सजे धार्मिक दीवान में रागी जत्थों ने छोटे साहिबजादों की शहीदी के के बारे में बताया तो संगत की आंखें नम हो गईं। छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह, बाबा फतेह सिंह की वीरता का विस्तार से वर्णन किया गया। यहां पहुंची संगत ने दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह के वीर सपूतों का इतिहास जाना। शुक्रवार की रात गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब में धार्मिक दीवान का आयोजन किया गया। यहां धार्मिक जत्थों ने गुरु गोबिंद साहिब के चार साहिबजादों की वीरता के बारे में विस्तार से बताया। कहा कि माता गुजरी कौर सहित दोनों छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और फतेह सिंह को मुगलों ने गिरफ्तार कर लिया। सात वर्ष के बाबा जोरावर सिंह और पांच वर्ष के बाबा फतेह सिंह को गिरफ्तार कर गंगू के घर ले गए। उन्हें ठंडे बुर्ज में रखा गया। ठिठुरती ठंड से बचने के लिए कोई कपड़ा नहीं दिया गया। रातभर ठिठुरने के बाद सुबह होते ही दोनों साहिबजादों को वजीर खां के सामने पेश किया गया। वहां भरी सभा में इस्लाम धर्म कबूलने को कहा। वजीर खां ने दोनों छोटे साहिबजादों को खूब डराया-धमकाया। प्यार से भी इस्लाम धर्म कबूलने के लिए राजी कराने की कोशिश की, लेकिन दोनों साहिबजादे अपने निर्णय पर अटल रहे। आखिर में मुगल शासन ने दोनों साहिबजादों को जिंदा दीवारों में चुनवा दिया। धार्मिक जत्थों ने गुरुओं की महिमा का गुणगान कर उनके बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया। भाई केवल सिंह मेहता, भाई सुखजीत सिंह, भाई शमशेर सिंह, अजीतपाल सिंह ने छोटे साहिबजादों के बलिदान को नमन करते हुए उनकी वीरता का गुणगान किया।
मोती मेहरा को भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए
इस अवसर पर माताजी व साहिबजादों को दूध पिलाने वाले भाई मोती मेहरा को भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए। मोती मेहरा को परिवार सहित कोल्हू में शहीद कर दिया था। दीवान टोडरमल जिन्होंने माताजी और दोनों साहिबजादों के अंतिम संस्कार के लिए वजीर खान से सरहिन्द में सोने की मोहरें बिछाकर स्थान खरीदा। उन्हें भी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
इनका रहा सहयोग
यहां गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष जोगिन्द्र सिंह, सचिव हरभजन सिंह, डायरेक्टर कुलदीप सिंह पन्नू, गुरवंत सिंह, जरनैल सिंह, हरभाग सिंह, हरदेव सिंह, धार्मिक डेरा कार सेवा के प्रमुख जत्थेदार बाबा रविंदर सिंह, प्रबंधक रणजीत सिंह, सुखवंत सिंह भुल्लर, दिलबाग सिंह मौजूद रहे।
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