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टीडीसी घोटाले में तीन नामजद आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट

-बीते दिनों टीडीसी की ओर से तीन नामजद आरोपियों के खिलाफ दी गयी थी अभियोजन की अनुमतिकी ओर से तीन नामजद आरोपियों के खिलाफ दी गयी थी अभियोजन की अनुमति रुद्रपुर। हमारे संवाददाता टीडीसी घोटाले में तीन...

टीडीसी घोटाले में तीन नामजद आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट
हिन्दुस्तान टीम,रुद्रपुरTue, 18 Dec 2018 07:44 PM
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टीडीसी घोटाले में तीन नामजद आरोपियों के खिलाफ अभियोजन की अनुमति के बाद एसआईटी ने मंगलवार को रुद्रपुर के सीजेएम कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है। टीडीसी बीज घोटाला में टीडीसी के दस कर्मचारियों के खिलाफ पंतनगर थाने में मुकदमा दर्ज था। इसमें एक आरोपी की मौत हो चुकी है। टीडीसी की ओर से पूर्व कंपनी सचिव आरके निगम, उप मुख्य विपणन अधिकारी एके लोहनी के बाद एमडी पीएस बिष्ट के खिलाफ भी अभियोजन की अनुमति मिल चुकी है। 24 अप्रैल को एसआईटी ने टीडीसी बीज घोटाले में टीडीसी में भंडारक छदमी लाल, डाटा एंट्री ऑपरेटर हरिकेश बहादुर सिंह और मल्लीताल नैनीताल निवासी विपरण अधिकारी ललित मोहन सिंह को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 25 जुलाई को उपमुख्य विपणन अधिकारी अजीत सिंह, लेखाधिकारी जीसी तिवारी, मुख्य अभियंता पीके चौहान को गिरफ्तार किया था। एसपी सिटी रुद्रपुर और एसआईटी प्रभारी देवेंद्र पींचा ने बताया कि तीनों नामजद आरोपियों के खिलाफ रुद्रपुर सीजेएम कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी गयी है।पहली चार्जशीट- टीडीसी में भंडारक छदमी लाल, डाटा एंट्री ऑपरेटर हरिकेश बहादुर सिंह और मल्लीताल नैनीताल निवासी विपरण अधिकारी ललित मोहन सिंह।दूसरी चार्जशीट- तत्कालीन उपमुख्य विपणन अधिकारी अजीत सिंह पुत्र देव नारायण सिंह, तत्कालीन लेखाकार गिरीश चंद्र पुत्र एएन तिवारी, सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता प्रदीप चौहान पुत्र केएस चौहान।तीसरी चार्जशीट- पूर्व कंपनी सचिव आरके निगम, उप मुख्य विपणन अधिकारी एके लोहनी और एमडी पीएस बिष्ट। इन पर दर्ज हुआ था मुकदमा- एमडी पीएस बिष्ट, लेखाधिकारी स्व. अतुल पांडे, लेखाधिकारी जीसी तिवारी, प्रशासनिक अधिकारी शिवमंगल त्रिपाठी, उपमुख्य वित्तीय अधिकारी बीडी तिवारी, उपमुख्य विपणन अधिकारी अजीत सिंह, उपमुख्य विपणन अधिकारी एके लोहनी, मुख्य बीज उत्पादन अधिकारी दीपक पांडे, मुख्य अभियंता पीके चौहान और कंपनी सचिव आरके निगम।यह है मामलारुद्रपुर। दिसंबर 2015 को निगम के बीजों की कम जमाव क्षमता की शिकायत से बीजों की बिक्री प्रभावित हुई। करीब डेढ़ लाख कुंतल बीज बच गया था। अधिकारियों ने यूपी बीज निगम और राष्ट्रीय बीज निगम को दाम घटाने का हवाला देकर बीज निगम को होने वाली आर्थिक क्षति कम करने के लिए दर से घटाकर यूपी और बिहार में बेचने का प्रस्ताव दिया। इसके बाद 40 किलो के दो कट्टे बीज के साथ एक कट्टा बीज निशुल्क योजना की मंजूरी दी गई। इसके आधार पर 16 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था।

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