कोटेश्वर झूला पुल की जगह अब बने पक्का मोटर पुल
वर्षों से जर्जर हालत में पड़ा कोटेश्वर झूला पुल अब भले ही टूट गया हो किंतु क्षेत्रीय विकास के लिए अब लोग इस झूला पुल की जगह पक्के मोटर पुल की मांग कर रह हैं। यदि यहां मोटर पुल बना तो इससे न केवल...
वर्षों से जर्जर हालत में पड़ा कोटेश्वर झूला पुल अब भले ही टूट गया हो किंतु क्षेत्रीय विकास के लिए अब लोग इस झूला पुल की जगह पक्के मोटर पुल की मांग कर रह हैं। यदि यहां मोटर पुल बना तो इससे न केवल क्षेत्रीय लोगों को बेहतर यातायात की सुविधा मिलेगी बल्कि चारधाम यात्रा के लिए भी यह पुल वैकल्पिक पुल के रूप में मील का पत्थर साबित हो सकता है।आजादी से करीब 15 वर्ष पहले बना कोटेश्वर झूला पुल बीते कई वर्षों से जर्जर अवस्था में था। क्षेत्रीय लोगों ने इसकी मरम्मत और नए पुल की मांग की किंतु कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। बीते दो वर्ष पूर्व लोनिवि रुद्रप्रयाग ने इस पुल पर आवाजाही बंद करते हुए यहां आवाजाही प्रतिबंधित का साइन बोर्ड भी लगाया। इस साल बरसात के चलते यह झूला पुल धराशायी हो गया। लोग अब क्षेत्र के विकास के लिए इस पुल को मोटर मार्ग पुल बनाने की मांग करने लगे हैं। लोगों का कहना है कि अब झूला पुल के रूप में इस पर मोटी रकम खर्च करने के बजाय मोटर पुल के रूप में धनराशि खर्च की जानी चाहिए ताकि क्षेत्र का चंहुमुखी विकास होगा। वरिष्ठ पत्रकार रमेश पहाड़ी, एडवोकेट विनोद खंडूरी, सामाजिक कार्यकर्ता रघुवीर सिंह कठैत, पूर्व सभासद पंकज बुटोला, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह रावत आदि ने कहा कि कोटेश्वर में झूला पुल के बजाय अब मोटर पुल बनाया जाना चाहिए ताकि इस क्षेत्र के गांवों को यातायात की बेहतर सुविधा मिल सके। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में सैनिक कल्याण कार्यालय, जिला जज कार्यालय, विकास भवन आदि प्रमुख कार्यालय भी हैं। इसके अलावा इस पुल बनने से बेला, खुरड़, सुमेरपुर, तिलणी, कोटेश्वर, सौड़, कलक्ट्रेट, तूना, बौंठा, लमेरी, भुनका, परबेला, खेड़धार आदि गांवों को लाभ मिलेगा। यही नहीं चारधाम यात्रा के लिए भी यह सड़क वैकल्पिक मार्ग के रूप में कारगर साबित होगी। क्षेत्रीय लोगों ने सरकार, प्रशासन और रुद्रप्रयाग विधायक से इस दिशा में कार्रवाही की मांग की है ताकि जनता को इस पुल का लाभ मिल सके।