बावन गढ़ की वास्तविकता पर दिए व्याख्यान
गढ़वाल के सुप्रसिद्ध बावन गढ़ की वास्तविकता या मिथक विषय को लेकर अजीम प्रेम जी फाउण्डेशन द्वारा एक व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया। अगस्त्यमुनि कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में हेमवती नन्दन...
गढ़वाल के सुप्रसिद्ध बावन गढ़ की वास्तविकता या मिथक विषय को लेकर अजीम प्रेम जी फाउण्डेशन द्वारा एक व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया। अगस्त्यमुनि कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में हेमवती नन्दन बहुगुणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ नागेन्द्र रावत ने बतौर मुख्य वक्ता प्रतिभाग किया। डॉ रावत ने सात सालों के अपने अध्ययन में गढ़वाल के प्रचलित गढ़ों के अलावा कई नवीन गढ़ों और उप गढ़ों को प्रकाश में लाने का प्रयास किया है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए अगस्त्यमुनि कार्यालय के प्रभारी नमोदीप्त बेहरा ने डॉ रावत द्वारा गढ़वाल के गढ़ों पर किए गए शोध की जानकारी सदन में रखी। डॉ रावत ने बताया कि पूरी प्रक्रिया में वर्तमान तक की पूरी प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए वैज्ञानिक तरीके से अपने शोध के निष्कर्ष निकाले हैं। उन्होंने पीपीटी के माध्यम से कई नवीन जानकारियां दी। इसमें गढ़, पर्वतों की चोटियों पर ही क्यों बनाए जाते थे? एक गढ़ दूसरे गढ़ से कैसे संदेशों का आदान प्रदान करता था? गढ़पतियों, नरेशों का देवी देवी देवताओं से क्या और कैसा संबंध था आदि शामिल था। कार्यक्रम का संचालन करते हुए अगस्त्यमुनि कार्यालय के प्रभारी नमोदीप्त बेहरा ने डॉ रावत द्वारा गढ़वाल के गढ़ों पर किए गए शोध की जानकारी पेश की। अजीम प्रेमजी रुद्रप्रयाग के प्रभारी दीपक रावत ने भी कार्यक्रम पर प्रकाश डाला। इस मौके पर गिरीश बेंजवाल, हेमंत चैकियाल, सुधीर बत्र्वाल, कमल बिष्ट, सरिता पंवार, नीलम बिष्ट, गिरिजेश सेमवाल, दलीप सिंह रावत, जसपाल लाल, जगन्नाथ आर्य, कैलाश भट्ट, विजय सिंह, बेणी प्रसाद भट्ट, राज्य श्री भण्डारी, अजीम प्रेम जी फाउण्डेशन के रजनीश बहुगुणा आदि मौजूद थे।