डिस्लेक्सिया पीड़ित बच्चों को पहचानें शिक्षक
केंद्रीय विद्यालय क्रमांक एक में डिस्लेक्सिया पर वेबीनार का आयोजन किया गया। प्राचार्य वीके त्यागी ने कहा कि बच्चों की परवरिश करके उन्हें एक बेहतर...
केंद्रीय विद्यालय क्रमांक एक में डिस्लेक्सिया पर वेबीनार का आयोजन किया गया। प्राचार्य वीके त्यागी ने कहा कि बच्चों की परवरिश करके उन्हें एक बेहतर नागरिक बनाना एक बड़ी जिम्मेदारी है। यह जिम्मेदारी तब और चुनौतीपूर्ण हो जाती है जब बच्चों को कुछ अनोखी समस्याओं से जूझना हो। इससे ग्रस्त बच्चे को दूसरे बच्चों की तरह भाषा या चिन्हों को पढ़ने, समझने और याद करने में परेशानी होती है। वह परीक्षाओं में बाकी बच्चों से पिछड़ जाते हैं। ऐसे बच्चों का जीवन एक व्यस्क के रूप में और कठिन हो जाता है। बावजूद कड़ी मेहनत, लगन, सही समय पर जागरूकता और समाज के सहयोग से ऐसे बच्चे तमाम ऊंचाइयों को छू रहे हैं। जीव विज्ञान के शिक्षक अरविंद कुमार गुप्ता और अंग्रेजी शिक्षक ओमबीर सिंह ने अपने विचार रखते हुए कहा कि डिस्लेक्सिया कोई एक चीज नहीं बल्कि अनेक है। ऐसा नहीं है की इस समस्या का समाधान नहीं है। बहुत से प्रसिद्ध लोग बचपन में इस बीमारी से ग्रसित थे। लेकिन आज वे सफलता की नई ऊंचाइयां छू रहे हैं। उप प्राचार्या अंजू सिंह ने कहा कि आज के बच्चे ही देश के भविष्य हैं। जब ऐसे बच्चे स्कूल में पढ़ना शुरू करते हैं तो बाकी बच्चों की तुलना में उनका प्रदर्शन काफी कम रहता है। वह नए शब्द नहीं सीख पाते। अगर बच्चे की नजर ठीक है, वह चीजों को समझ रहा है, पढ़ने की कोशिश कर रहा है फिर भी नंबर कम आ रहे हैं तो लर्निंग डिसऑर्डर की जांच करनी चाहिए। इसकी सबसे पहले पहचान स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक करते हैं। इसलिए उनका जागरुक होना जरूरी है।