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प्रशान्त अद्वैत फाउंडेशन के संस्थापक और सिविल सेवा पूर्व अधिकारी आचार्य प्रशांत ने कहा कि जिंदगी एक जंग है। कोई भी इस जंग से अछूता नहीं है। हमें उस जंग से लड़ते हुए निडरता से आगे कैसे बढ़ना है उसके लिए एक ही सूत्र है अपने आप को सही काम मे झोंक देना। नहीं तो हर समय डरे सहमे हुए अनुभव करते रहोगे।
LiveHindustan को अपना पसंदीदा Google न्यूज़ सोर्स बनाएं – यहां क्लिक करें।आईआईटी रुड़की के एमएसी ऑडिटोरियम में संस्कृत क्लब ने निडर जीवन पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। जिसमें व्याख्यान देने के लिए पहुंचे आचार्य प्रशांत ने छात्रों और प्राध्यापकों की ओर से पूछे गए सवालों का जवाब दिया। आचार्य प्रशांत ने छात्रों से पूछा कि कितने लोग हैं जो कभी-कभी या अक्सर डर का अनुभव करते हैं। करीब-करीब सभी अपने हाथ उठाए। आचार्य प्रशांत ने कहा कि शायद ही कोई ऐसा हो जो डर से अछूता हो। डर को ध्यान से समझना चाहिए।। सैकड़ों की भीड़ के आगे बोलने में हममें से अधिकतर लोगों को डर या हिचक की अनुभूति होती ही है। डर न बोलने में है, न कहीं जाने में और न ही लिखने मेंद। डर है उस विषय के बारे में सोचने में। डर केवल एक विचार है, उसकी कोई वास्तविकता नहीं है।
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