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कार्टून की दुनिया छोड़ रामायण में दिख रहा बच्चों का आकर्षण

चैनल व एक्शन फिल्मों ने ले ली। उस समय के बुजुर्ग बताते हैं कि रामायण और महाभारत के प्रसारण के समय बाजार और सड़कों पर सन्नाटा सा हो जाता था। कोरोना वायरस के चलते देश में चल रहे लॉकडाउन के कारण लोग घरों...

कार्टून की दुनिया छोड़ रामायण में दिख रहा बच्चों का आकर्षण
हिन्दुस्तान टीम,रुडकीWed, 01 Apr 2020 06:50 PM
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लॉकडाउन के कारण परिवार की जो करीबी देखी जा रही है वह चार दशक पहले देखी जाती थी। उस समय प्राइवेट चैनल नहीं थे। केवल दूरदर्शन टीवी या रेडियो ही मनोरंजन का एक मात्र साधन हुआ करता था। 80 के दशक में दूरदर्शन पर पहले रामायण और फिर महाभारत ने टीवी का रोमांच बढ़ाया था। समय के साथ-साथ धार्मिक और पारिवारिक टीवी सीरियलों की जगह कार्टून चैनल व एक्शन फिल्मों ने ले ली। उस समय के बुजुर्ग बताते हैं कि रामायण और महाभारत के प्रसारण के समय बाजार और सड़कों पर सन्नाटा सा हो जाता था। कोरोना वायरस के चलते देश में चल रहे लॉकडाउन के कारण लोग घरों में कैद से हो गए हैं। इसलिए दूरदर्शन ने फिर इन पुराने सीरियल टेलीकास्ट करने शुरू कर दिए हैं। आज की पीढ़ी के लिए यह अलग अनुभव है। लॉकडाउन के कारण बच्चे एक्शन, फैंटेसी और कार्टून की दुनिया से निकलकर धर्म और संस्कृति को समझने, अपने दादा-दादी, नाना-नानी से कहानियां सुन रहे हैं।

कक्षा चार में पढ़ने वाली कनिका और कक्षा दो में पढ़ने वाले हिमांशु बताते हैं कि देश में फैली महामारी के कारण स्कूल बंद कर दिए गए हैं। वह दिनभर तारक मेहता का उल्टा चश्मा, पोगो आदि कार्टून या मोबाइल देखकर टाइम पास करते हैं। उसकी दादी लक्ष्मी देवी बताती हैं कि लॉकडाउन के कारण बच्चों का घरों से निकलना बंद हो गया है तथा वह टीवी और मोबाइल देखकर बोर होने लगे हैं। बाहर खेलने नहीं जा सकते और कुछ करने के लिए नहीं है। लेकिन दूरदर्शन पर फिर से रामायण-महाभारत नई पीढ़ी के लिए नैतिकता का बोध कराएगा। टीवी पर हमारे धार्मिक सीरियल देखने से बच्चों को ना सिर्फ अपने धर्म की जानकारी मिलेगी बल्कि जीवन प्रबंधन भी सीखेंगे। ऐसे धार्मिक सीरियलों से बच्चों को परिवार, जिम्मेदारी, कर्तव्य, आदर्श, कूटनीति, सेवा, आचरण, मित्रता को लेकर सीख मिलेगी। हम बच्चों के साथ ये सीरियल देखते हुए उनके सवालों के भी जवाब देते हुए उनकी उत्सुकता को दूर करते हैं। पढ़ाई और इलेक्ट्रॉनिक गेजेटस में खोए बच्चों को हमारे ग्रंथ पढ़ने का समय नहीं है लेकिन लॉकडाउन में बच्चे रामायण व महाभारत के माध्यम से हमारी परंपरा और संस्कृति को समझ सकेंगे।

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