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ग्लोबल वार्मिंग से निपटने की नीति बने: माहेश्वरी

तमाम तरह की बीमारियां और प्राकृतिक आपदाएं इसी का नतीजा हैं। उन्होंने इस खतरे से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर नीति बनाकर उस पर काम करने की आवश्यकता जमाई। निदेशक प्रो. माहेश्वरी ने रायसी के हर्ष पीजी...

तमाम तरह की बीमारियां और प्राकृतिक आपदाएं इसी का नतीजा हैं। उन्होंने इस खतरे से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर नीति बनाकर उस पर काम करने की आवश्यकता जमाई। 
निदेशक प्रो. माहेश्वरी ने रायसी के हर्ष पीजी...
1/ 2तमाम तरह की बीमारियां और प्राकृतिक आपदाएं इसी का नतीजा हैं। उन्होंने इस खतरे से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर नीति बनाकर उस पर काम करने की आवश्यकता जमाई। निदेशक प्रो. माहेश्वरी ने रायसी के हर्ष पीजी...
तमाम तरह की बीमारियां और प्राकृतिक आपदाएं इसी का नतीजा हैं। उन्होंने इस खतरे से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर नीति बनाकर उस पर काम करने की आवश्यकता जमाई। 
निदेशक प्रो. माहेश्वरी ने रायसी के हर्ष पीजी...
2/ 2तमाम तरह की बीमारियां और प्राकृतिक आपदाएं इसी का नतीजा हैं। उन्होंने इस खतरे से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर नीति बनाकर उस पर काम करने की आवश्यकता जमाई। निदेशक प्रो. माहेश्वरी ने रायसी के हर्ष पीजी...
हिन्दुस्तान टीम,रुडकीFri, 14 Feb 2020 07:47 PM
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उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. एनपी माहेश्वरी ने कहा कि सभी देशों के सामने आज ग्लोबल वार्मिंग की गंभीर समस्या बनी हुई है। तमाम तरह की बीमारियां और प्राकृतिक आपदाएं इसी का नतीजा हैं। उन्होंने इस खतरे से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर नीति बनाकर उस पर काम करने की आवश्यकता जताई। प्रो. माहेश्वरी ने रायसी के हर्ष पीजी कॉलेज में वनाग्नि तथा जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां एवं निदान विषय पर दो दिवसीय सेमिनार का दीप जलाकर शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि तेल, कोयला जैसे जीवाश्म ईंधन के अंधाधुंध प्रयोग से तापमान बढ़ना गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने इससे निपटने को वर्ष 1997 में दुनिया के 141 देशों के बीच हुई क्योटो संधि की भी जानकारी दी। प्रो. एमएम सेमवाल ने कहा कि पूरी पृथ्वी पर गर्मियां लंबी और सर्दियां छोटी हो रही हैं। धरती के औसत तामपान में हो रही बढ़ोतरी इसकी वजह है। कहा कि भूभाग पर जंगलों का औसत कम होना भी इसके पीछे की एक वजह है। अगर इस पर काबू नहीं पाया गया तो आने वाले दो सौ साल के भीतर धरती पर मौजूद मनुष्यों, जीव, जंतुओं और वनस्पतियों का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है। पर्यावरणविद् जगत सिंह जंगली ने वनों की आग पर विस्तार से चर्चा की। कहा कि पेड़, पौधे जीवन का स्रोत हैं। इनके संरक्षण के साथ ही हमें नए पेड़ लगाकर संतान की तरह इनकी देखभाल की जरूरत है। इससे पूर्व निदेशक प्रो. माहेश्वरी ने शौर्य की दीवार का अनावरण भी किया। डॉ. केपी सिंह, डॉ. राजीव रतन, डॉ. प्रशांत सिंह, डॉ. राजेश पालीवाल, डॉ. अजीत राव, डॉ. केपी तोमर, प्रो. पीसी जोशी, डॉ. आशुतोष शरण, डॉ. मनोज छोकर, डॉ. बीपी सिंह, प्रो. एमएमएस नेगी, डॉ. आरएस भाकूनी, हर्ष कुमार दौलत ने भी विचार व्यक्त किए।

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