श्रावणी पूर्णिमा पर ऋषिकुमारों का उपनयन संस्कार
श्रावणी पूर्णिमा पर ऋषिकेश के संस्कृत शिक्षा संस्थानों में नव प्रवेशी छात्रों का यज्ञोपवीत संस्कार और उपानयन किया गया। छात्रों ने इस पर्व का महत्व समझा और गंगा तट पर स्नान किया। वैदिक ब्राह्मण महासभा...

श्रावणी पूर्णिमा पर तीर्थनगरी के संस्कृत शिक्षा संस्थानों में नव प्रवेशी छात्रों का वैदिक परंपरा के साथ उपानयन और यज्ञोपवीत संस्कार किया गया। इसके साथ ही इन सभी को अब वेदाध्ययन का अधिकार भी प्राप्त हो गया है। नव प्रवेशी छात्रों ने श्रावणी पूर्णिमा का महत्व भी जाना। शनिवार को जयराम आश्रम संस्कृत महाविद्यालय में श्रावणी पर्व परंपरागत तरीके से मनाया गया। यहां पुरातन और नव प्रवेशी सभी छात्रों ने गंगातट पर हिमाद्रि स्नान किया। प्रधानाचार्य पंडित मायाराम शास्त्री के सानिध्य में नव प्रवेशी छात्रों को यज्ञोपवीत धारण कराया गया। जयराम आश्रम ट्रस्ट के अध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज के सानिध्य में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने श्रावणी पूर्णिमा के महत्व को बताया।
बताया कि श्रावणी पूर्णिमा का सनातन धर्म में बड़ा महत्व है। जिसमें ब्राह्मण वर्ग अपनी कर्म शुद्धि के लिए उपाकर्म करते हैं। ग्रंथों में इस दिन किए गए तप और दान का महत्व उल्लेखित है। इस दिन रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार मनाया जाता है। इस अवसर परआश्रम के ट्रस्टी अशोक शर्मा, प्रदीप शर्मा, बीएम बडोनी, सत्येंद्र भट्ट,मनीष कुमार आदि मौजूद रहे। श्रीदर्शन महाविद्यालय में मनाया गया श्रावणी उपाकर्म संस्कार श्रीदर्शन महाविद्यालय मुनिकीरेती में श्रावणी उपाकर्म एवं संस्कृत दिवस धूमधाम से मनाया गया। पालिकाध्यक्ष नीलम बिज्लवाण ने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं के जननी है। प्रत्येक व्यक्ति हो संस्कृत का ज्ञान जरूर होना चाहिए। महंत मनोज द्विवेदी ने कहा कि महाविद्यालय ऋषिकेश का सबसे प्राचीन विद्यालय है। जो संस्कृत की बेहतर शिक्षा छात्रों को दे रहा है। प्रबंधक संजय शास्त्री ने कार्यक्रम में आये लोगों का आभार जताया। इस अवसर पर आचार्य दिनेश सेमल्टी, विद्यालय के अध्यक्ष वंशीधर पोखरियाल, प्रधानाचार्य डॉ राधामोहन दास, सत्येश्वर प्रसाद डिमरी, मुकेश कुमार बहुगुणा, डॉ सुशील कुमार नौटियाल, आशीष जुयाल, डॉ शांति प्रसाद मैठानी, रामप्रसाद सेमवाल, सीमा मैठाणी,अनूप सिंह रावत, पूर्णानंद सिलस्वाल, हरीश सिलस्वाल,प्यारेलाल तिवाड़ी, गोपीचन्द्र सिलसवाल, मंजू देवी, दया भाई आदि उपस्थित थे। वैदिक ब्राह्मण महासभा ने गंगा पूजन किया वैदिक ब्राह्मण महासभा ऋषिकेश ने त्रिवेणी घाट पर श्रावणी उपाकर्म श्रद्धा भाव से मनाया। केशव स्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने सबसे पहले गंगा के पावन तट पर प्रयाश्चितसंकल्प,दशविधि स्नान करवाया। इसके पश्चात देव ऋषि,पितृ तर्पण एवं संध्योपासन का कर्म किया गया।उसके बाद पंचांग पूजन,ऋषि पूजन,यज्ञोपवीत पूजन के बाद हवन (यज्ञ)किया गया। केशव स्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा श्रावणी उपाकर्म आत्म-शुद्धि और पिछले वर्ष में जाने-अनजाने में किए गए पापों के प्रायश्चित का अवसर प्रदान करता है। यह पर्व यज्ञोपवीत बदलने का प्रतीक है, जो ज्ञान और आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के नए संकल्प का प्रतीक है। श्रावणी उपाकर्म के दिन वेदों का अध्ययन फिर से शुरू करने का संकल्प लिया जाता है। इस दिन, ऋषियों का स्मरण और तर्पण किया जाता है, जिन्होंने हमें वेदों और ज्ञान का मार्ग दिखाया। श्रावणी उपाकर्म हमें आत्म-अध्ययन, अच्छे संस्कारों के विकास और ज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है। इसी दिन पूरे विश्व में संस्कृत दिवस भी मनाया जाता है। इस अवसर पर वैदिक ब्राह्मण महासभा ऋषिकेश के अध्यक्ष जगमोहन मिश्रा,महामंत्री शिव प्रसाद सेमवाल,संस्कृत भारती के क्षेत्रीय संगठन मंत्री देवेंद्र पांड्या, डॉक्टर जनार्दन प्रसाद कैरवान, आचार्य राकेश भारद्वाज, नागेंद्र भद्री, राकेश लसियाल, विवेक चमोली, जितेन्द्र भट्ट, सुरेश पन्त, शंकरमणि भट्ट, सौरभ सेमवाल, अमित कोठारी आदि उपस्थित थे।
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