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आज तू रुवैली प्याज, यन हमुन जाणि नी से लूटी वाहवाही

आवाज साहित्यिक संस्था ऋषिकेश की मासिक काव्य गोष्ठी में कवियों ने जहां बेहद संवेदनशील कविताएं प्रस्तुत की। वहीं हास्य और वर्तमान के राजनैतिक हालात पर गहरे तंज भी कसे। सबकी रसोई की शान प्याज के बढ़े...

आज तू रुवैली प्याज, यन हमुन जाणि नी से लूटी वाहवाही
हिन्दुस्तान टीम,रिषिकेषMon, 16 Dec 2019 12:05 AM
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आवाज साहित्यिक संस्था ऋषिकेश की मासिक काव्य गोष्ठी में कवियों ने जहां बेहद संवेदनशील कविताएं प्रस्तुत की। वहीं हास्य और वर्तमान के राजनैतिक हालात पर गहरे तंज भी कसे। सबकी रसोई की शान प्याज के बढ़े बेतहाशा दाम पर कवि नरेंद्र रयाल की प्रस्तुति आज तू रुवैली प्याज, यन हमुन जाणि नी, मां की कसम मोदी जी, घौर एक दानि नी ने खूब वाहवाही लूटी।

मुनिकीरेती स्थित संस्था कार्यालय में आयोजित काव्य गोष्ठी में कवि महेश चिटकारिया ने वर्तमान हालातों पर कविता के माध्यम से कुछ यूं बयां किया दरवाजे पर लगी घंटी, चुपचाप शांत पड़ी है कोई आएगा तो धनेश कोठारी ने पलायन की जद में आए खाली होते पहाड़ पर खाली हो चुके गांव में, खड़ी हैं अब तक कई दीवारें, भरोसे इन्हीं के अब तक टिकती रही हैं कई सरकारें कविता प्रस्तुत कर राजनीतिक व्यवस्था पर तंज कसा। मां की गोद में लोरी सुनने के आनंद को आलम मुसाफिर ने पल दो पल ही लोरी सुना जरा ख्वाबों में ही ऐ मां, तू आजा जरा, रामकृष्ण पोखरियाल ने आज जब वहशी दरिंदे खुलेआम घूम रहे हों तो अपनी बिटिया को ही नसीहत देनी होगी सजल आंखों में नीर भर, मजबूर बाप का यूं कहना जमाना खराब चल रहा बेटी तू जरा, संभल के रहना मार्मिक रचना प्रस्तुत की। अशोक क्रेजी ने राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रति सुख हो या दुख हो, हिंदी में गुनगुनाता हूं सच कहूं तो दो जून की रोटी भी हिंदी से ही खाता हूं। कवि प्रबोध उनियाल, शिव प्रसाद बहुगुणा, सत्येंद्र चौहान, ज्योति चिटकारिया, रवि शास्त्री ने भी रचनाएं प्रस्तुत की।

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