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व्यक्ति की स्वतंत्रता की कोई सीमा नहीं: बजरंग मुनि

बजरंग मुनि शोध संस्थान की ओर से आयोजित गोष्ठी में समाजशास्त्र विषय पर वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए। वक्ताओं ने समाजशास्त्र को व्यक्ति और समाज, स्वतंत्रता और सहजीवन, अधिकार एवं दायित्व के बीच संतुलन...

व्यक्ति की स्वतंत्रता की कोई सीमा नहीं: बजरंग मुनि
हिन्दुस्तान टीम,रिषिकेषMon, 19 Aug 2019 07:00 PM
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बजरंग मुनि शोध संस्थान की ओर से आयोजित गोष्ठी में समाजशास्त्र विषय पर वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए। वक्ताओं ने समाजशास्त्र को व्यक्ति और समाज, स्वतंत्रता और सहजीवन, अधिकार एवं दायित्व के बीच संतुलन स्थापित करने वाली विधा बताया।

सोमवार को दून मार्ग स्थित बजरंग मुनि शोध संस्थान के प्रबंध कार्यालय में समाजशास्त्र विषय पर गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी में संस्थान के महानिदेशक आचार्य पंकज ने कहा कि समाजशास्त्र का अर्थ होता है कि व्यक्ति और समाज, स्वतंत्रता और सहजीवन, अधिकार एवं दायित्व के बीच संतुलन स्थापित करने वाली विधा। व्यक्ति के स्वतंत्रता की कोई सीमा नही होती है। परिवार व्यवस्था समाज की पहली इकाई होती है। परिवार का मतलब संपूर्ण समर्पण है। प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक होता है कि वह अपने व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन में स्वतंत्रता और सजीवन का तालमेल करके चले। दोनों एक दूसरे के विपरीत दिखते हैं। लेकिन तालमेल अनिवार्य होता है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के पास उसके स्वतंत्र अधिकार होते हैं और साथ ही उसके कर्तव्य भी बाध्यकारी होते हैं। सहजीवन की कमी परिवार में सबसे बड़ा संकट है। सहजीवन की ट्रेनिंग के लिए परिवार के सभी सदस्यों में आपसी तथा बेझिझक संवाद होना चाहिए। मौके पर बीपी डोभाल, राजेंद्र प्रसाद, शशि गौड़, डॉ. जनार्दन कैरवान, अंकित नैथानी, संजू रतूड़ी, विकास कुकरेती, अभिषेक शर्मा, अनोखे लाल यादव आदि उपस्थित थे।

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