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उत्तराखंड की संस्कृति एवं कला को बढ़ाने की जरूरत

रासडिजिटलमार्ट के बैनर तले डिजिटल भारत के एक वेबिनार आयोजित किया गया। इसमें उत्तराखंड की संस्कृति एवं कला को बढावा देने पर जोर दिया गया। विशेषज्ञों...

उत्तराखंड की संस्कृति एवं कला को बढ़ाने की जरूरत
हिन्दुस्तान टीम,रिषिकेषMon, 26 Jul 2021 07:40 PM
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ऋषिकेश। वरिष्ठ संवाददाता

रासडिजिटलमार्ट के बैनर तले डिजिटल भारत के एक वेबिनार आयोजित किया गया। इसमें उत्तराखंड की संस्कृति एवं कला को बढावा देने पर जोर दिया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी पहल स्कूल एवं होटलों से करने की जरूरत है।

वेबिनार का संचालन प्रोफेसर एसपी काला के निर्देशन में गढ़वाल विवि टूरिज्म के दो पूर्व छात्र महिपाल सिंह रावत और पवन कुमार कोटियाल ने किया। वेबिनार में अमेरिका से सिंसिनाटी यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर स्टेफ़ान फीयोल, पद्मश्री प्रीतम भरतवाण, प्रोफेसर डीआर पुरोहित ने भाग लिया। इसमें राज्य की प्रतिभाओं को दिशा देने के साथ स्थानीय कलाकारों को मंच प्रदान करने पर जोर दिया गया। प्रोफेसर स्टेफान फीयोल ने कहा कि डिजिटल चैनल हमारे प्रतिभाशाली कलाकारों के लिये प्रांसगिक हो सकते हैं। उन्होंने उत्तराखंड की संस्कृति और बोली को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के टिप्स दिये। प्रोफेसर डीआर पुरोहित ने कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति एवं लोकगीतों का कोई सानी नहीं है। लेकिन इसके लिये राज्य की युवा पीढ़ी को प्रेरित करने की जरूरत है। लोक गायक प्रीतम भरतवाण ने कहा कि स्कूल एवं होटलों से इसकी शुरूआत की जानी चाहिए। उन्होंने उत्तराखंडी वाद्ययंत्रों को बजाने वालों को सरकारी नौकरी में छूट देने की वकालत भी की। इस दौरान गढ़वाली गीत भी गाया गया। विजेन्द्र पंवार समेत विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग वेबिनार में शामिल हुये।

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