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हिंदी के पितामह भारतेन्दु हरिश्चंद्र को याद किया

अखिल भरतीय साहित्य परिषद एवं अखिल भरतीय हिंदी प्रचार समिति ने गोष्ठी आयोजित कर आधुनिक हिंदी के पितामह भारतेन्दु हरिश्चंद्र की जयंती पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर याद किया। गोष्ठी में वक्ताओं ने...

हिंदी के पितामह भारतेन्दु हरिश्चंद्र को याद किया
हिन्दुस्तान टीम,रिषिकेषSun, 09 Sep 2018 06:01 PM
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अखिल भरतीय साहित्य परिषद एवं अखिल भरतीय हिंदी प्रचार समिति ने गोष्ठी आयोजित कर आधुनिक हिंदी के पितामह भारतेन्दु हरिश्चंद्र की जयंती पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर याद किया। गोष्ठी में वक्ताओं ने भारतेन्दु हरिश्चंद्र के जीवन के बारे में बताते हुए उसका अनुशरण की बात कही।

रविवार को भारतेन्दु हरिश्चंद्र की जयंती पर अखिल भरतीय साहित्य परिषद एवं अखिल भरतीय हिंदी प्रचार समिति के संयुक्त तत्वावधान में होटल स्पर्श गंगा सभागार में साहित्यक गोष्ठी का आयोजन किया गया। संस्था के प्रान्तीय महासचिव धीरेन्द्र रांगड़ ने भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए उनका स्मरण किया। कहा कि भारतेन्दु हरिश्चंद्र हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे, उनका कार्यकाल युग की सन्धि पर खड़ा है। उन्होंने रीतिकाल की विकृत सामन्ती संस्कृति की पोषक वृत्तियों को छोड़कर स्वस्थ परम्परा की भूमि अपनाई और नवीनता के बीज बोए। हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से माना जाता है। मनोज गोप्ता ने कहा कि भारतीय नवजागरण के अग्रदूत के रूप में प्रसिद्ध भारतेन्दु ने देश की गरीबी, पराधीनता, शासकों के अमानवीय शोषण के चित्रण को ही अपने साहित्य का लक्ष्य बनाया। कार्यक्रम संयोजक गजेंद्र कंडियाल ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता, नाटक और काव्य के क्षेत्र में उनका बहुमूल्य योगदान रहा। इस मौके पर एसपी बहुगुणा, भगवान सिंह रांगड़, विजयपाल रांगड़, महिपाल बिष्ट, रमेश रावत, धनसिंह आदि उपस्थित थे।

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