रामायण प्रेम और भक्ति के मार्ग को अंगीकृत करती है : स्वामी कृष्णाचार्य
कथा व्यास कृष्णाचार्य महाराज ने कहा कि धार्मिक ग्रंथ के बिना घर में संस्कृति और संस्कार नहीं आते हैं। रामायण प्रेम के साथ ही भक्ति के मार्ग को अंगीकृत करती...
कथा व्यास कृष्णाचार्य महाराज ने कहा कि धार्मिक ग्रंथ के बिना घर में संस्कृति और संस्कार नहीं आते हैं। रामायण प्रेम के साथ ही भक्ति के मार्ग को अंगीकृत करती है।
मंगलवार को दून मार्ग स्थित तुलसी मानस मंदिर में चल रहे दस दिवसीय वार्षिकोत्स्व के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को रामायण की महत्ता के बारे में बताया गया। उत्तराखंड पीठाधीश्वर स्वामी कृष्णाचार्य महाराज ने कहा कि रामायण ग्रंथ ही नहीं अपितु सदमार्ग पर रहकर जीवन को जीने का संदेश देती है। रामायण जीवन को जीने के लिए घर-घर में राम और सीता बनाती है। रामायण प्रेम के साथ भक्ति मार्ग को भी अंगीकृत कराती है। जिस घर में धार्मिक ग्रंथ नहीं होते हो, वह घर संस्कृति और संस्कार से वंचित रहता हैं। कार्यक्रम के तहत पंडित वेद प्रकाश के नेतृत्व में ऋषि कुमारों द्वारा संगीतमय 108 रामायण के नवान्ह पाठों सामूहिक पाठ किया गया। मौके पर समिति के अध्यक्ष पंडित रवि शास्त्री, राजीव लोचन शर्मा, मनमोहन शर्मा, अशोक कुमार अरोड़ा, सीमा शर्मा, मीना देवी, सुमति देवी, अभिषेक शर्मा, दीपक दरगन, अनूप रावत, चंद्र प्रकाश, पृथ्वी उनियाल, राजेंद्र भंडारी, संजय कुकरेती, राम किशन पोखरियाल, अंशुल, दीपक बधानी, सतीश घड़ियाल, कैलाश भट्ट, अशोक क्रेजी, रमाकान्त भारद्वाज, अमित सक्सेना आदि उपस्थित थे।