बसंत तुम कहां हो, खेतों में सन्नाटा पसरा है...
बसंत पंचमी की पूर्व संध्या पर साहित्यिक संस्था ने ऑनलाइन काव्यपाठ का आयोजन किया। इसमें कई शहरों के कवि और शायरों ने अपनी स्वरचित कविताएं साझा...
बसंत पंचमी की पूर्व संध्या पर साहित्यिक संस्था ने ऑनलाइन काव्यपाठ का आयोजन किया। इसमें कई शहरों के कवि और शायरों ने अपनी स्वरचित कविताएं साझा की। जैसलमेर की कवि मोनिका गौड़ ने बसंत तुम कहां हो, खेतों में सन्नाटा पसरा है। सरसों का पीलापन रक्तविहीन आंखों में ठहर सा लगता है का पाठ किया। रामनगर के कवि संतोष कुमार तिवारी ने सोने के पत्तर चढ़े दिन सुरमई शामें औ, चंपई रातें लेकर ये कौन आया की प्रस्तुति दी। अल्मोड़ा के कवि रमेश चंद्र पंत ने दरख्तों ने फिर नये कपड़े पहने, गंधपूरिता हुई हवाएं चांदनी सांसें हुई मौन में बातें हुई से खूब वाहावाही लूटी। इस दौरान रामनगर के देवेश उपाध्याय, अल्मोड़ा के डॉ. शशि जोशी ने भी अपनी कविताएं सुनाई।