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लॉकडाउन: चित्रशिला घाट पर ही हो रहा अस्थि विसर्जन

कोरोना वायरस की दहशत के बीच पूरा देश लॉकडाउन में है। आवश्यक सेवाओं को छोड़ सभी प्रकार के कामकाज ठप पड़े हैं। तो वहीं एहतियातन तीर्थ और अन्य धार्मिक स्थल भी आमजन के लिए बंद...

लॉकडाउन: चित्रशिला घाट पर ही हो रहा अस्थि विसर्जन
हिन्दुस्तान टीम,रामनगरSat, 11 Apr 2020 05:59 PM
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कोरोना से लड़ाई :- आम दिनों में कई लोग अस्थि विसर्जन के लिए जाते हैं हरिद्वार- पाबंदी के बाद चित्रशिला घाट पर ही कर रहे विसर्जनहल्द्वानी। हमारे संवाददाताकोरोना वायरस की दहशत के बीच पूरा देश लॉकडाउन में है। आवश्यक सेवाओं को छोड़ सभी प्रकार के कामकाज ठप पड़े हैं। तो वहीं एहतियातन तीर्थ और अन्य धार्मिक स्थल भी आमजन के लिए बंद हैं। इसका असर अस्थि विसर्जन पर भी पड़ा है। हल्द्वानी के रानीबाग स्थित चित्रशिला घाट में पार्थिव देह के अंतिम संस्कार के बाद सभी यहीं पवित्र जल धारा में अस्थि विसर्जित कर रहे हैं। जबकि आम दिनों में कई लोग गंगा में विसर्जन के लिए हरिद्वार भी जाते थे। रानीबाग चित्रशिला तीर्थ की काफी मान्यता है। साथ ही यहां स्थित घाट में मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए लोग हल्द्वानी के अलावा कई जगहों से आते हैं। समिति के ललित गोस्वामी बताते हैं कि सामान्य दिनों में यहां अंतिम संस्कार के बाद कई के परिजन यहीं अस्थि विसर्जित कर देते थे, जबकि कई लोग हरिद्वार भी जाते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद अन्य स्थानों पर आवागमन बंद होने से हरिद्वार जाने की इच्छा रखने वाले लोग भी यहीं अस्थि विसर्जन कर रहे हैं।

....घाट पर अंतिम संस्कारों का आंकड़ा कम

लॉकडाउन के बाद चित्रशिला घाट पर अंतिम संस्कार का आंकड़ा कम हुआ है। परिवहन सेवा में पाबंदी होने के चलते आसपास के इलाकों से बहुत कम लोग यहां पहुंच रहे हैं। घाट से मिली जानकारी के अनुसार सामान्य दिनों में रोजाना 8-10 पार्थिव देह आते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद 3-4 ही संस्कार यहां हो रहे हैं। वहीं लोगों सुविधा अनुसार अपने क्षेत्रों में अंतिम संस्कार की क्रिया कर रहे हैं।

....घाट पर सोशल डिस्टेंस का पूरा ध्यान :

कोरोना संक्रमण के बीच घाट पर मृतक के पार्थिव देह के साथ 15 से 20 लोग ही आ रहे हैं। साथ ही यहां सोशल डिस्टेंस का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। घाट के सेवादार बताते हैं कि पुलिस की टीम भी रोजाना गस्त करती है।

...आलू गुटके और चाय की दुकानें बंद ::

चित्रशिला घाट पर अंतिम संस्कार के बाद शव यात्रा में शामिल लोगों को आलू गुटके, चाय और छोले खिलाने की परंपरा काफी लम्बे समय से चली आ रही है, लेकिन कोरोना संक्रमण के बीच यहां चलने वाली यह दुकानें बंद हैं। देखा जाए तो करीब 80 किलो आलू, 20 किलो छोले की यहां रोजाना खपत होती थी।

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