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लेनिन के विचार आज भी प्रासंगिक: वर्मा

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लेनिन के विचार आज भी प्रासंगिक: वर्मा
हिन्दुस्तान टीम,रामनगरSun, 22 Apr 2018 06:26 PM
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साम्यवादी नेता कामरेड ब्लादीमीर इलीच लेनिन के विचारों को साहित्यकार आनंद स्वरूप वर्मा ने आज भी बेहद प्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा कि यह प्रासंगिकता भारत में फासीवादी सत्ताओं द्वारा उनकी मूर्तियां तोड़ने के बाद और अधिक बढ़ गई है। श्री वर्मा रामलीला मैदान में आयोजित ‘भगत सिंह के आदर्श लेनिन के विचारों की आज के दौर में प्रासंगिकता विषय पर आयोजित सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पूर्व में कांग्रेस सरकार ने देश पर तानाशाही थोपी थी। जिसका देश की जनता ने मुंहतोड़ जवाब दिया। लेकिन वर्तमान समय में देश में फासीवाद का कब्जा हो गया है जो कि किसी प्रकार के प्रतिरोध की आवाज को सुनना तो दूर उसे पनपने का मौका भी नहीं देना चाहता है। ऐसे में फासीवाद का मुकाबला करने के लिए देश की जनता को नये ढंग से लड़ाई लड़नी होगी। डीयू के प्रोफेसर सचिन निर्मल नारायण ने कहा कि भारत में मोदी के सत्ता में आने के बाद अपने विरोधियों की संस्थागत हत्या का नया दौर शुरू किया गया है। जो कलबुर्गी, दाभोलकर, रोहित वेमुला, अशफाक, गौरी लंकेश से होते हुए इस स्तर तक पहुंच गया है कि बलात्कारियों को बचाने के लिए कुछ लोग तिरंगे के साथ प्रदर्शन तक करने लगे हैं, जो कि पूरे विश्व में देश की जनता को शर्मसार है। प्रेम आर्य ने वन गांव दुर्दशा को चर्चा के केंद्र में रखा। मंच के सहसंयोजक मुनीष कुमार ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में चल रहे छोटे-छोटे संघर्ष की एकजुटता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार देश की जनता को दो रुपये की दवाई चिकित्साल में उपलब्ध नहीं करवा सकती है। लेकिन ऐसी परिस्थितियां जरूर बना रही हैं कि उसकी सरपरस्ती में नीरव मोदी जैसे पूंजीपति बीस हजार करोड़ रुपये लेकर देश से चंपत हो जाएं। कार्यक्रम का संचालन समाजवादी लोकमंच के कैसर राणा ने किया। इस दौरान किशन शर्मा, गोविन्द कुमियाल, तरुण जोशी, मो. शफी, संजय रावत, कमलेश, जमनराम, खीम सिंह, गिरीश आर्य, आनंद नेगी, प्रभात ध्यानी, महेश जोशी आदि मौजूद रहे।

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