नाबालिगों के प्रेम प्रसंग में सिर्फ लड़कों पर पॉक्सो ऐक्ट कितना सही? HC का केंद्र और राज्यों से सवाल
नैनीताल हाई कोर्ट ने नाबालिगों के प्रेम प्रसंग मामले में सिर्फ लड़कों को हिरासत में लेने और उन पर पॉक्सो ऐक्ट में ऐक्शन पर केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब मांगा है। अदालत ने कहा कि सिर्फ लड़कों पर ऐक्शन लेना कितना सही है?

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने नाबालिगों के प्रेम प्रसंग से जुड़े मामलों में केवल लड़कों को ही हिरासत में लिए जाने और उन पर पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा चलाए जाने के चलन को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब मांगा है।
चीफ जस्टिस्ट जी नरेंद्र और जस्टिस सुभाष उप्रेती की डिवीजन बेंच ने जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले में अगले हफ्ते सुनवाई होगी।
याचिकाकर्ता वकील मनीषा भंडारी ने दलील दी कि कम उम्र के प्रेम प्रसंग के मामलों में हमेशा लड़कों को ही दोषी ठहराया जाता है, भले ही वे लड़की से उम्र में छोटे क्यों न हों।
उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में प्रायः लड़का ही यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत अभियोजन का सामना करता है तथा स्कूल जाने की बजाय वह किशोर सुधार गृह में बंद कर दिया जाता है ।
भंडारी ने कहा कि ऐसे लड़कों को हिरासत में लेने के बजाय परामर्श दिया जाना चाहिए ।
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