भय के साए में जीने को मजबूर है छलमाछिलासों गांव के ग्रामीण
जनपद में आपदा को तीन माह बीत चुके हैं। इसके बाद भी जनजीवन पटरी पर नहीं आ पाया है। आपदा का दंश झेल रहा अस्कोट का चैंदास घाटी के छलमाछिलासों गांव आज भी मौत के मुंहाने पर खड़ा है। भय के बीच जीवन यापन कर...
जनपद में आपदा को तीन माह बीत चुके हैं। इसके बाद भी जनजीवन पटरी पर नहीं आ पाया है। आपदा का दंश झेल रहा अस्कोट का चैंदास घाटी के छलमाछिलासों गांव आज भी मौत के मुंहाने पर खड़ा है। भय के बीच जीवन यापन कर रहे यहां के ग्रामीणों ने मदद की गुहार लगाई है। बीते दो जुलाई को छलमाछिलासों गांव में बारिश ने खूब तबाही मचाई थी। पर्यटक स्थल नारायण आश्रम के बसे इस गांव को भारी बारिश के कारण काफी नुकसान पहुंचा था। इसके अलावा कई पेयजल लाइनें ध्वस्त हो गई थी। सरपंच शंकर वर्मा का कहना है कि आपदा को तीन माह बीत चुके हैं। आज भी गांव के 150 एससी परिवार डर के साए में रात गुजारने को मजबूर हैं। कई बार प्रशासन से मदद की गुहार लगाई जा चुकी है। इसके बाद भी प्रशासन बड़े हादसे के इंतजार में बैठा है। अभी भी गांव में जगह-जगह भूस्खलन हो रहा है। इसक कारण उनके ऊपर मौत का खतरा मड़रा रहा है। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से विस्थापन की मांग की है। कोई कार्यवाही नहीं होने के कारण अब ग्रामीण बारात घर और टैंट में शरण लिए हुए हैं। गांव वालों ने सरकार से विस्थापन की मांग की है और अपनी जमीन को चिन्हित भी किया है।