सांसद, विधायकों को पेंशन मिल सकती है तो कर्मचारियों को क्यों नहीं
पेंशन बहाली को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी कर्मचारियों का साथ देने का फैसला लिया है। मुनस्यारी के स्थानीय जनप्रतनिधियों ने अंशदायी पेंशन व्यवस्था बंद करने की मांग करते हुए धरना दिया। उन्होंने...
पेंशन बहाली को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी कर्मचारियों का साथ देने का फैसला लिया है। मुनस्यारी के स्थानीय जनप्रतनिधियों ने अंशदायी पेंशन व्यवस्था बंद करने की मांग करते हुए धरना दिया। उन्होंने कहा देश में एक राष्ट्र, एक कानून की नीति लागू होनी चाहिए। लेकिन सरकार मनमाना रवैया अपनाते हुए काम कर रही है।
रविवार को मुनस्यारी के जनप्रतिनिधियों ने कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली की मांग पर अपने घरों में धरना दिया। धरने में शामिल जिपं सदस्य ने इस मामले में केंद्र व राज्य सरकार को जमकर कोसा। उन्होंने कहा पर्वतीय प्रदेश में ढाई लाख कर्मचारियों में महज 76हजार कर्मचारी अंशदायी पेंशन के दायरे में आ रहे हैं, यह कर्मचारियों के साथ अन्याय है। सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को मात्र दो से तीन हजार ही अंशदायी पेंशन मिल रही है, जिससे उनका घर चलाना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा सांसद व विधायक को पेंशन मिल रही है। लेकिन जीवन भर अपनी सेवा देकर सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को पेंशन नहीं दी जा रही। यहां तक कि अर्द्धसैनिक बलों व सेना के जवानों को भी अंशदायी पेंशन के दायरे में डाल दिया गया है। कहा एक राष्ट्र, एक कानून की बातें फेल साबित हो रही हैं। चेतावनी देते हुए कहा अंशदायी पेंशन व्यवस्था बंद करने के साथ ही पुरानी पेंशन बहाली नहीं हुई तो जनप्रतिनिधि भी कर्मचारियों के साथ सड़कों पर उतरेंगे।