चौदास के किसानों को दी गई औषधीय पादपों के कृषिकरण की जानकारी
गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान की ओर से पांच दिवसीय हिमालयी अध्ययन शिविर का समापन हो गया...
गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान की ओर से पांच दिवसीय हिमालयी अध्ययन शिविर का समापन हो गया है। इस दौरान धारचूला के सीमांत चौदास क्षेत्र के विभिन्न गांव के लोगों को हिमालयी औषधीय पादपों के कृषिकरण की जानकारी दी गई। रविवार को हुए समापन अवसर पर संस्थान निदेशक डॉ. आरएस रावल एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आईडी भट्ट के निर्देशन में वरिष्ठ शोधार्थी नरेंद्र सिंह परिहार ने चौदास क्षेत्र के हिमखोला, सोसा, शिर्खा, सिरर्दग, जयकोट, नियांग, पस्ती गांव के किसानों को औषधीय पादपों के कृषिकरण और बाजारीकरण की जानकारी दी गई। बताया गया कि उच्चहिमालयी क्षेत्रों की औषधी कुटकी, जटामांसी, जंबू-फरण, गंधरायणी, कूट, वन हल्दी की इस समय काफी मांग है। इसके कारण इन औषधियों का अधिक मात्रा में दोहन किया गया है। बताया कि इनके अस्तित्व को खतरा ना पहुंचे इसके लिए इनका कृषिकरण करना जरूरी है। कार्यक्रम में विशेषज्ञ भूपाल सिंह गढ़िया, हरीश सिंह चौहान ने अपने विचार रखे। मौके पर नरेंद्र सिंह परिहार, हेमंत गर्खाल, लक्ष्मण मर्तोलिया आदि शामिल रहे।