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जल संकट पर जताई चिंता, वृक्षारोपण पर जोर

हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान विभाग और श्री देव भूमि लोक संस्कृति विरासतीय शोभा यात्रा...

जल संकट पर जताई चिंता, वृक्षारोपण पर जोर
हिन्दुस्तान टीम,पौड़ीThu, 20 Jun 2019 04:11 PM
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हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान विभाग और श्री देव भूमि लोक संस्कृति विरासतीय शोभा यात्रा समिति के तत्वावधान में पौड़ी में हिमालय में जल संकट विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें तय हुआ कि सेम नागराजा मंदिर क्षेत्र में सघन पौधरोपण किया जाएगा। पौड़ी क्यूंकालेश्वर स्थित झालीमाली देवी आश्रम में पूर्व मंत्री डा. मोहन सिंह रावत गांववासी की अध्यक्षता में हुई इस गोष्ठी में वनाग्नि पर चिंता जाहिर की गई। विशेषज्ञों ने कहा कि यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब उत्तराखंड के गांवों को भीषण पेयजल समस्या से जूझना पड़ेगा। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पूर्व मंत्री डा. मोहन सिंह रावत गांववासी ने कहा कि वन ही प्राकृति स्रोतों को भी जीवन देते है। जल संरक्षण और संचय के लिए चाल-खाल, तालाब के साथ ही सघन वन रहे हैं। लेकिन आज चाल-खाल सूख रही हैं और पेड़ भी कम होते जा रहे हैं। अब सघन पौधरोपण के साथ ही चाल-खाल को रिचार्ज करने की जरूरत है। गांववासी ने कहा कि पहाड़ में मिश्रित वनों को बढ़ावा देना जरूरी है। जिसमें बांज, बुरांश, काफल, मोरू, केदारफली , थनेर आदि शामिल हैं। गढ़वाल विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. वीएस चौहान ने कहा कि आज गांवों में पशुओं के लिए भी पानी का संकट है। पहले गांवों में पशुओं के लिए पानी की व्यवस्था होती थी लेकिन अब वह भी नहीं है। लिहाजा इसे भी पुनर्जीवित किया जाना जरूरी है। पर्वतीय विकास शोध केंद्र के नोडल अधिकारी डा. अरविन्द दरमोड़ा ने कहा कि वृक्षारोपण में चौड़ी पत्ती के पौधों को शामिल किया जाना चाहिए। इससे पहाड़ों में भूस्खलन की समस्या भी हल हो जाएगी और भूजल में भी वृद्धि होगी। गोष्ठी में डा. एचएस भट्ट ने भी विचार रखे। इस मौके पर निर्णय लिया गया कि 5 अगस्त को सेम नागराजा मंदिर क्षेत्र में वृहद पौधरोपण किया जाएगा। इसके लिए पीसीसीएफ उत्तराखंड से भी निवेदन किया गया है। जिस पर उन्होंने संबंधित क्षेत्र में गड्ढे खोदने और पेड़ उपलब्ध कराने के लिए डीएफओ टिहरी को निर्देशित किया है। गोष्ठी में डा. एसडी भट्ट, अनिरूद्ध कुमार, मनीष चंद्र, डा. जेपी भट्ट और मनीष कुमार आदि मौजूद रहे।

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