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सौंदर्य के पीछे छिपी है पहाड़ की वेदना : डॉ. हरिसुमन

सैलानियों के लिए पहाड़ों की प्राकृतिक छटा भले ही मंत्रमुग्ध करने वाली हो, लेकिन स्थानीय लोग जानते हैं कि पहाड़ों का जीवन-संघर्ष कितना कठोर और निर्मम है। प्रमुख पर्यटन स्थल कौसानी अपने प्राकृतिक...

सौंदर्य के पीछे छिपी है पहाड़ की वेदना : डॉ. हरिसुमन
हिन्दुस्तान टीम,नैनीतालMon, 12 Oct 2020 07:21 PM
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सैलानियों के लिए पहाड़ों की प्राकृतिक छटा भले ही मंत्रमुग्ध करने वाली हो, लेकिन स्थानीय लोग जानते हैं कि पहाड़ों का जीवन-संघर्ष कितना कठोर और निर्मम है। प्रमुख पर्यटन स्थल कौसानी अपने प्राकृतिक सौंदर्य, कविवर सुमित्रानंदन पंत और महात्मा गांधी की स्मृतियों से जुड़ा होने के कारण सदा पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है, लेकिन कौसानी के सौंदर्य और चकाचौंध के पीछे यहां के ग्रामीण जनजीवन का संघर्ष कहीं छिपकर रह जाता है। पहाड़ अपने संघर्ष में इसी वेदना को समेटे हैं।

ये बातें कुमाऊं विश्वविद्यालय की रामगढ़ स्थित महादेवी वर्मा सृजन पीठ के ऑनलाइन रचना-पाठ कार्यक्रम में वरिष्ठ कथाकार एवं उपन्यासकार, हिन्दी अकादमी दिल्ली के सचिव रहे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. हरिसुमन बिष्ट ने अपनी कहानी 'कौसानी में जैली फिश' के जरिए कहीं। उन्होंने कहा कि पहाड़ न होते तो मानव का विकास न होता। कार्यक्रम में महादेवी वर्मा सृजन पीठ के निदेशक प्रो. शिरीष कुमार मौर्य, शोध अधिकारी मोहन सिंह रावत सहित वरिष्ठ साहित्यकार प्रो.दिवा भट्ट, जहूर आलम, महेश पुनेठा, मुकेश नौटियाल, स्वाति मेलकानी, रमेश चंद्र पंत, उदय किरौला, महाबीर रंवाल्टा, शिव प्रकाश त्रिपाठी, विजया सती, प्रो. आराधना शुक्ला, डॉ. तेजपाल सिंह, डॉ. निर्मला जोशी आदि साहित्य प्रेमी शामिल हुए।

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