पर्यटन सीजन की शुरूआत में पहली बार सूनी पड़ी सरोवर नगरी
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देश-दुनियां के साथ ही सरोवर नगरी भी कोरोना वायरस की मार झेल रही है। यह पहला मौका है जब पर्यटन सीजन के शुरुआती दौर यानी अप्रैल में पर्यटन शहर में सन्नाटा पसरा है। लॉकडाउन के चलते फिलहाल जल्द स्थितियां सामान्य होने की संभावना भी काफी कम है। पर्यटन कारोबारियों की मानें तो नैनीताल के साथ ही भीमताल-भवाली समेत आसपास के क्षेत्रों में सीजन के दौरान करीब एक हजार करोड़ का कारोबार प्रभावित होगा। लॉकडाउन के कारण पर्यटन से जुड़े गरीब तबके के लगभग पांच हजार लोगों को रोटी के लाले पड़े हैं। यूं तो नैनीताल में सालभर देश-विदेश से पहुंचने वाले सैलानियों का सिलसिला जारी रहता है। लेकिन पर्यटन कारोबारी सालभर ग्रीष्मकालीन सीजन के इंतजार में रहते हैं। यहां अप्रैल में शुरू होने वाला सीजन मई व जून माह में चरम पर रहता है। तीन माह तक नैनीताल के साथ ही आसपास के क्षेत्रों में होटल, गेस्ट हाउस समेत अन्य व्यावसायिक संस्थान पैक रहते हैं। नौबत वेटिंग तक जा पहुंचती है। लेकिन इस वर्ष कोरोना वायरस के प्रकोप से मार्च से ही यहां सन्नाटा है। सीजन की बात की जाए तो नैनीताल में रोजाना दस हजार से अधिक सैलानी पहुंचते हैं। लेकिन कोरोना के परकोप के चलते फिलहाल पर्यटकों के यहां पहुंचने की संभावनाएं दूर तक नजर नहीं आ रही हैं। ऐसी स्थिति पर्यटन से जुड़े वह गरीब तबके के लोग भी प्रभावित हुए हैं, जोकि लॉकडाउन से पहले घर नहीं पहुंच सके थे। अब इनके सामने रोटी का संकट है। ------होटलों को होगा सात सौ करोड़ का नुकसाननैनीताल में एक सीजन में सिर्फ होटलों का ही सात सौ करोड़ का कारोबार प्रभावित होने की संभावना है। यहां चार सौ से अधिक होटल हैं। इसके अलावा नौकायन, घुड़सवारी, पैराग्लाइडिंग, वाटर एक्टिविटीज समेत अन्य पर्यटक स्थलों को भी भारी नुकसान होने जा रहा है। खास बात यह है कि नैनीताल में अधिकांश होटल स्वामी ही होटल संचालित करते हैं। लेकिन मनु महारानी, शेरवानी हिलटॉप इन, नैनी रिट्रीट, आरिफ, बलरामपुर हाउस, क्लासिक द माल, डायनेस्टी, विक्रम विंटेज इन समेत कुल दस कॉरपोरेट होटलों को भारी नुकसान होगा। यही नहीं नैनीताल में लीज पर होटल चलाने वाले 25 पर्यटन कारोबारियों को भी खासा नुकसान होने वाला है। अनुबंध के बाद धनरिश जमा कर सीजन की आस लगाए बैठे कारोबारी सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
घोड़ा संचालकों के सामने बड़ा संकट
नैनीताल में बारा पत्थर से टिफिन टॉप तक पर्यटकों को घुड़सवारी कराई जाती है। नगर पालिका की अनुमति पर यहां 94 घोड़े लगातार सैलानियों को सैर कराते हैं। लॉकडाउन के बाद चना, गुड़, तेल, डोडा आदि नहीं मिलने से घोड़ा संचालकों ने अपने घर यानी रामपुर, मुरादाबाद आदि स्थानों को पलायन करना शुरू कर दिया है। संचालकों की मानें तो एक घोड़े का आहार प्रतिदिन पांच सौ रुपया है। लेकिन वर्तमान में उनके पास खुद के लिए खाने की व्यवस्था नहीं है, ऐसे में घोड़ों के लिए संकट पैदा हो गया है।
हर साल लाखों की तादात में पहुंचते हैं पर्यटक
नैनीताल में हर वर्ष 8 से 10 लाख तक देशी पर्यटक तथा 40 से 50 हजार तक विदेशी सैलानी पहुंचते हैं। इसमें सिर्फ पर्यटन सीजन की यदि बात की जाए तो इसके 50 से 60 फीसदी पर्यटक अप्रैल, मई व जून में नैनीताल पहुंचते हैं। ऐसी स्थिति में यह स्पष्ट है कि इस वर्ष सैलानियों की आमद में भारी गिरावट दर्ज की जाएगी।
लॉकडाउन के चलते जंगलों में सड़ रहे बुंराश
कुमाऊं में आने वाले पर्यटक यहां का स्थानीय बुंराश का जूस जरूर पीते हैं। यही नहीं यहां से देश के कई हिस्सों तक पर्यटक बुंराश का जूस ले जाते हैं। लेकिन इस वर्ष लॉकडाउन के बाद जंगलों से फूल ही नहीं तोड़े जा सके हैं। आज स्थिति यह है कि जंगलों में भारी मात्रा में फूल खिले हैं। लेकिन लोगों के घरों में बंद होने के कारण फूल सड़ने लगे हैं।
कर्मचारियों के लिए वेतन की दिक्कतें
नैनीताल के होटल तथा अन्य संस्थानों पर काम करने वाले मजदूर और कर्मचारियों के लिए वेतन की भी दिक्कतें सामने आ रही हैं। होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश लाल साह के अनुसार होटल संचालकों की ओर से कर्मचारियों की मदद की जा रही है। लेकिन लंबे समय तक बगैर काम के वेतन देने में दिक्कतें सामने आ रही हैं। कहा कि शासन-प्रशासन से कर्मचारियों की व्यवस्था करने की मांग की गई है। इसके अलावा नैनीताल में 600 मजदूर नौकायन तथा 400 लोग रिक्शा चलाकर गुजारा करते हैं।