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हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से जवाब मांगा

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों से अवशेष देयकों के मामले में चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा...

हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से जवाब मांगा
हिन्दुस्तान टीम,नैनीतालWed, 12 Dec 2018 09:12 PM
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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों से अवशेष देयकों के मामले में चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों पर पदमुक्त होने के बाद भी सरकारी सेवाओं का लाभ लेने तथा सरकारी खजाने से उन पर खर्च हुए 13 करोड़ रुपये को लेकर दायर याचिका के संबंध में उक्त जवाब मांगा है। मामले में याचिका दायर करने वाली संस्था की ओर से आरटीआई से मिली अवशेष की सूचना के साथ हाईकोर्ट में पत्र प्रस्तुत किया गया।देहरादून की रूरल लिटिगेशन एंड एनटाइटलमेंट केन्द्र की ओर से बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष पत्र पेश किया। कहा गया कि संस्था ने सूचना अधिकार अधिनियम के माध्यम से पूर्व मुख्यमत्रियों पर पदमुक्त होने के बाद भी सरकारी खजाने से खर्च हुई धनराशि की जानकारी एकत्र की है। जिनमें कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री पं. नारायण दत्त तिवारी, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक शामिल हैं। इनमें सबसे अधिक धनराशि पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी और सबसे कम राशि विजय बहुगुणा पर खर्च की गयी है। संस्था के अधिवक्ता श्री कार्तिकेय हरि गुप्ता की ओर से दी गई आरटीआई डिटेल में पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के नाम पर 3.70 करोड़ रुपये, स्व. पं. एनडी तिवारी पर 2.39 करोड़, रमेश पोखरियाल निशंक के नाम पर 2.17 करोड़, भुवन चंद्र खंडूड़ी के नाम पर 2.81 करोड़ जबकि विजय बहुगुणा पर 1.11 करोड़ रुपये विभिन्न मदों में खर्च किए गए हैं। इनमें वाहन के रखरखाव, देहरादून से बाहर जाने पर ईंधन खर्च, टैक्सी खर्च, चालकों का वेतन, कर्मचारी मद, बिजली का खर्च, टेलीफोन खर्च, सुरक्षा गार्ड के नाम पर होने वाले खर्चे शामिल हैं। जनहित याचिका दायर करने वाली संस्था की ओर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को प्रदेश से बाहर खासकर दिल्ली आदि के लिए मिलने वाली वाहन सुविधा पर रोक लगाने की भी मांग की है। कोर्ट ने पूरे मामले को सुनने के बाद सभी मुख्यमंत्रियों को इस मामले में चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है। हाईकोर्ट ने सरकार को भी मामले में विस्तृत जवाब देने के आदेश दिये हैं।

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