हाईकोर्ट ने एनआईटी के स्थायी कैंपस के निर्माण को लेकर समय सीमा नहीं बताने पर नाराजगी व्यक्त की है। अदालत ने निदेशक एनआईटी से जानकारी तबल की है कि नये सत्र में छात्रों को स्तरीय सुविधा मिल रही है या नहीं। निदेशक को इस मामले में शपथपत्र के साथ जवाब देने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की संयुक्त खंडपीठ ने सोमवार को मामले की सुनवाई की। अगली सुनवाई 2 सप्ताह के बाद होगी।संस्थान के पूर्व छात्र जसवीर सिंह की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। याचिका में कहा कि एनआईटी श्रीनगर को शुरू हुए नौ साल हो गए हैं, लेकिन अब तक इसका स्थायी कैंपस नहीं बन पाया है। लंबे समय से यह मांग की जा रही है। वर्तमान अस्थायी परिसर की हालत भी खस्ता है। यहां भवन जर्जर स्थिति में हैं और कभी भी हादसा हो सकता है। याचिका में कहा कि स्थायी कैंपस की मांग कर रहे छात्रों के शांतिपूर्वक चल रहे आंदोलन के दौरान हादसे में एक छात्रा की मौत तक हो गई, जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गई थी। याचिका में घायल का इलाज राज्य सरकार और एनआईटी के स्तर से कराने के निर्देश देने की मांग उठाई गयी। इधर मामला हाईकोर्ट आने के बाद सरकार ने एनआईटी को श्रीनगर से जयपुर शिफ्ट कर दिया था। इस पर भी कोर्ट नाराजगी जता चुका है। इसके बाद सरकार ने अदालत में एनआईटी के लिए श्रीनगर के सुमाड़ी में ही स्थायी कैंपस बनाने की जानकारी दी है, लेकिन समय सीमा नहीं बताई गई है।
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