एनआईटी मामले में याची को प्रति शपथपत्र देने के निर्देश
हाईकोर्ट ने एनआईटी को श्रीनगर गढ़वाल से जयपुर राजस्थान शिफ्ट करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका में शुक्रवार को सुनवाई की। कोर्ट ने मामले में केंद्र और राज्य सरकार के जवाब पर याची को प्रति शपथ पत्र पेश...
हाईकोर्ट ने एनआईटी को श्रीनगर गढ़वाल से जयपुर राजस्थान शिफ्ट करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका में शुक्रवार को सुनवाई की। कोर्ट ने मामले में केंद्र और राज्य सरकार के जवाब पर याची को प्रति शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए तीन दिन का समय दिया है। अगली सुनवाई बुधवार 13 मार्च को तय की है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आरएस धानिक की संयुक्त खंडपीठ में हुई।
इधर, केंद्र सरकार ने इस मामले में दाखिल शपथ पत्र में कहा है कि प्रदेश सरकार ने एनआईटी के लिए जरूरत के मुताबिक जमीन उपलब्ध नहीं कराई गई है। जबकि राज्य सरकार ने दावा किया है कि संस्थान के लिए केंद्र सरकार को भूमि उपलब्ध करा दी है। इस पर अदालत ने प्रदेश सरकार को आदेश दिये हैं कि इस मामले में स्थिति स्पष्ट करे। वहीं याचिकाकर्ता से दोनों सरकारों के जवाब पर तीन दिन के भीतर अपना पक्ष प्रति शपथपत्र के जरिये रखने के लिए कहा है। मामले में अगली सुनवाई आने वाले बुधवार को तय की है।एनआईटी के पूर्व छात्र जसवीर सिंह ने मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा गया कि संस्थान के गठन को 9 साल हो गए हैं लेकिन अभी तक इसका स्थायी परिसर तय नहीं हुआ है। वर्तमान में संस्थान का संचालन एक जर्जर भवन में हो रहा है। इसमें कभी भी दुर्घटना हो सकती है। कहा है कि स्थायी परिसर के लिए चल रहे आंदोलन के दौरान सड़क हादसे में संस्थान के एक प्रशिक्षार्थी की मौत तक हो चुकी है जबकि एक का अस्पताल में इलाज चल रहा है। याचिका में इलाज का खर्च प्रदेश सरकार और एनआईटी प्रबंधन से उठाने की मांग की गई है। वर्तमान में सरकार की उपेक्षा से संस्थान में पंजीकृत छात्र-छात्राओं का जयपुर राजस्थान के एनआईटी में प्रशिक्षण चल रहा है।
ग्रामीण भी बने हैं पक्षकार
श्रीनगर के सुमाड़ी, नियाल सहित अन्य गांवों की जनता ने हाईकोर्ट में इसे लेकर प्रार्थना पत्र दिया था। प्रार्थना पत्र में उन्होंने स्वयं को पक्षकार बनाने की मांग की थी। प्रार्थना पत्र में कहा था कि एनआईटी परिसर के लिए उन्होंने 120 हेक्टेयर जमीन दान दी है। इसके तहत आने वाली वन विभाग की भूमि के हस्तांतरण पर भी कवायद हो गई थी। सरकार ने इसके लिए 2009 में बकायदा 9 करोड़ रुपये भी दे दिए थे। यही नहीं सरकार ने चयनित स्थल की चहारदीवारी में 4 करोड़ रुपये भी खर्च किये, लेकिन सरकार एनआईटी को अब मैदानी क्षेत्र में शिफ्ट करने का प्रयास कर रही है। प्रार्थना पत्र में अदालत को बताया गया कि इस भूमि का आईआईटी रुड़की के स्तर से भूगर्भीय सर्वेक्षण किया गया था, लेकिन अभी तक इसकी अंतिम रिपोर्ट नहीं आई है।