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कर्नल कोठियाल के खिलाफ दर्ज वन अधिनियम का मामला खारिज

वन विभाग ने 2005 में त्रिशूल चोटी की फतह के दौरान दर्ज किया था मामला

 कर्नल कोठियाल के खिलाफ दर्ज वन अधिनियम का मामला खारिज
हिन्दुस्तान टीम,नैनीतालSat, 29 Sep 2018 07:48 PM
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हाईकोर्ट ने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी के प्रधानाचार्य रहे कर्नल अजय कोठियाल के खिलाफ वन विभाग की ओर से दर्ज मामले को खारिज कर दिया है। अदालत ने चमोली के सीजेएम अदालत में लंबित बाद को भी रद्द कर दिया है। अजय कोठियाल व अन्य के खिलाफ 2005 में नंदादेवी की त्रिशूल चोटी पर अभियान के दौरान वन विभाग ने मामला दर्ज कराया था। न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने मामले में नाराजगी भी व्यक्त की और कहा कि इस प्रकार की कार्रवाई से सेना के मनोबल पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। उल्लेखनीय है कि भारतीय सेना की आर्मी एडवेंचर विंग की ओर से 2005 में त्रिशूल पर्वतारोहण अभियान आयोजित किया। कर्नल सुमित कोटनाला इस अभियान में लीडर तथा तब मेजर रहे अजय कोठियाल को क्लाइंबिंग टीम का लीडर नियुक्त किया गया था। दल ने सफलतापूर्वक अभियान को अंजाम दिया। अभियान की समाप्ति के बाद कर्नल कोटनाला व मेजर कोठियाल को सीजेएम चमोली की ओर से सम्मन नोटिस मिला। अदालत ने वन विभाग के रेंजर मदन लाल राही की ओर से दल के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन करने को लेकर की गई शिकायत के आधार पर दर्ज मुकदमे के तहत यह सम्मन भेजा था। वन विभाग को शिकायत थी कि दल ने अभियान में वन विभाग को शामिल नहीं किया। बगैर अनुमति स्कीइंग करने, वन क्षेत्र में आग जलाने, जनरेटर का प्रयोग करने आदि आरोप लगाए थे। अजय कोठियाल ने इस सम्मन के खिलाफ जिला एवं सत्र न्यायालय चमोली के समक्ष रिवीजन दाखिल किया जहां से मामला खारिज हो गया। इस पर कोठियाल ने मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में कहा कि पर्वतारोहण व स्कीइंग अभियान को भारतीय सेना ने आयोजित किया था जिसकी पूर्व स्वीकृति नियमानुसार प्रमुख वन संरक्षक से ली गई थी। कोठियाल सरकारी दायित्व के तहत इसमें शामिल थे निजी हैसियत से नहीं उनके विरुद्ध बगैर केंद्र सरकार की अनुमति के मुकदमा दायर नहीं हो सकता था।कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि सेना का दल पर्वतारोहण के लिए प्रशिक्षित था जबकि वन कर्मी इसके लिए प्रशिक्षित नहीं थे अतः उन्हें दल में शामिल करने का कोई औचित्य नहीं था तथा वापसी में जल्द लौटने के लिए स्कीइंग का प्रयोग सही था। अभियान की वीडियोग्राफी भी भविष्य में सेना के दलों को ट्रेनिंग देने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण थी। कोर्ट ने मामले में निचली अदालत में दायर मुकदमे को खारिज कर दिया।

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