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Hindi News उत्तराखंड नैनीतालभाषाएं अलग होने के बावजूद भक्ति साहित्य का उद्देश्य एक: प्रो. गोपेश्वर

भाषाएं अलग होने के बावजूद भक्ति साहित्य का उद्देश्य एक: प्रो. गोपेश्वर

कुमाऊं विवि के हिन्दी विभाग की ओर से हिन्दी भक्तिकाव्य के सामाजिक सरोकार विषय पर गुरूवार से हरमिटेज भवन में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हो गई...

कुमाऊं विवि के हिन्दी विभाग की ओर से हिन्दी भक्तिकाव्य के सामाजिक सरोकार विषय पर गुरूवार से हरमिटेज भवन में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हो गई...
1/ 3कुमाऊं विवि के हिन्दी विभाग की ओर से हिन्दी भक्तिकाव्य के सामाजिक सरोकार विषय पर गुरूवार से हरमिटेज भवन में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हो गई...
कुमाऊं विवि के हिन्दी विभाग की ओर से हिन्दी भक्तिकाव्य के सामाजिक सरोकार विषय पर गुरूवार से हरमिटेज भवन में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हो गई...
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कुमाऊं विवि के हिन्दी विभाग की ओर से हिन्दी भक्तिकाव्य के सामाजिक सरोकार विषय पर गुरूवार से हरमिटेज भवन में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हो गई...
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हिन्दुस्तान टीम,नैनीतालThu, 29 Nov 2018 06:23 PM
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कुमाऊं विवि के हिन्दी विभाग की ओर से ‘हिन्दी भक्तिकाव्य के सामाजिक सरोकार विषय पर गुरुवार से हरमिटेज भवन में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हो गई है। भाषा संस्थान उत्तर प्रदेश लखनऊ और महादेवी वर्मा सृजनपीठ रामगढ़ के सहयोग से आयोजित संगोष्ठी में विभिन्न स्थानों से पहुंचे विशेषज्ञों ने विचार रखे। कुविवि के कुलपति प्रो. डीके नौड़ियाल की अध्यक्षता में हुई संगोष्ठी में आयोजक हिन्दी के विभागाध्यक्ष प्रो. मानवेंद्र पाठक ने अतिथियों का स्वागत एवं आभार व्यक्त किया। इस दौरान तुलसी, कबीर, नानक, गोरख, मीरा, सूरदास आदि के भक्तिकाल में की गई रचनाओं पर चर्चा की गई। मुख्य वक्ता भक्तिकालीन साहित्य के विशेषज्ञ प्रो. गोपेश्वर सिंह ने कहा कि भाषाएं अलग-अलग होने के बाद भी भक्ति साहित्य का उद्देश्य एक था। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी को भी भक्ति आंदोलन ने प्रभावित किया। भक्तिकाल ने मनुष्य को मनुष्य बनाया, इसलिए कवियों ने भक्ति को पांचवें वर्ण की संज्ञा दी। यहां प्रो़ नीरजा टंडन, डॉ. मोहन रावत, प्रो़ श्रीष कुमार मौर्य, प्रो़ चंद्रकला रावत, प्रो़ निर्मला ढैला, डॉ. शुभा मटियानी, डॉ. शशि पांडे, डॉ. कुसुमलता, प्रो़ उमा भट्ट, प्रो़ मधु नयाल, डॉ. तेजपाल सिंह, डॉ. माया, डॉ. ममता पंत, प्रो़ बीएल शाह, प्रो़ अतुल जोशी, डॉ. दिव्या उपाध्याय, प्रो़ नीता बोरा, प्रो़ सावित्री कैड़ा, प्रो. गंगा विष्ट, डॉ. प्रदीप जोशी, डॉ. रीना सिंह, डॉ. एनपी सिह, जगदीश बुधानी, विधान चौधरी आदि रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रो. चंद्रकला रावत ने किया।लोक-बोलियों को एक मंच पर लाने की तैयारीसंगोष्ठी में उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. राजनारायण शुक्ल ने कहा कि भक्ति आंदोलनों ने ही जन-जन के एकीकरण से राष्ट्रीय जागरण को जोड़ा है।

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