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रेजिमेंटल दुर्गा मंदिर में दक्षिण भारतीय संस्कृति की झलक

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रेजिमेंटल दुर्गा मंदिर में दक्षिण भारतीय संस्कृति की झलक
हिन्दुस्तान टीम,कोटद्वारSat, 14 Jul 2018 02:22 PM
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प्राकृतिक छटा बिखेरता ऐतिहासिक ब्रिटिशकालीन नगर लैंन्सडौन अपने आप में अनेक रमणीय स्थलों को समेटे हुए हैं, इनमें ऐसा ही धार्मिक महत्व का केन्द्र है गढवाल राइफल सेंन्टर का रेजिमेंटल दुर्गा माता मन्दिर, जो दक्षिण भारत के उत्कृष्ट शिल्प का समावेश लिये हुए आधुनिक निर्माण शैली को दर्शता है। रेजिमेंटल दुर्गा माता मंन्दिर के दर्शन कर भक्तों को आत्मिक शान्ति का अहसास होता है। इस मन्दिर का निर्माण कार्य वर्ष 1961 से आरम्भ हुआ, जिसका उद्घाटन तत्कालीन आनरेरी कर्नल एंव सांसद मानवेन्द्र शाह ने किया था। तब से लेकर निर्माण कार्य पूरा होने तक मंन्दिर विभिन्न विकास प्रक्रियाओं से गुजरता रहा। वर्ष 1988 के अन्त में तत्कालीन सेन्टर कमाडांट ब्रिगेडियर जी एस भुल्लर ने गढवाल राइफल रेजिमेंन्ट के इस भव्य मन्दिर को आधुनिक स्वरूप प्रदान करने की योजना बनाई। ब्रिगेडियर जगमोहन रावत ने भी रेजीमेंट की कमान संम्भालते ही मंन्दिर के निमार्ण कार्य को प्रमुखता दी थी। 24 मार्च 1993 को नव संवत्सर के शुभ अवसर पर इसके नए निर्माण कार्य का श्रीगणेश किया गया। मंन्दिर के निर्माण में मुख्यत: दक्षिण के मन्दिर व बैंगलौर सेना पुलिस मंन्दिर का समावेश किया गया है। रेजिमेन्ट के इस दुर्गा माता के मंन्दिर की आर्कषक शिल्पकारी को देखकर हर कोई आश्चर्य में पड़ जाता है। इसकी सारी व्यवस्था गढ़वाल राइफल रेजिमेंन्टल सेंटर ही देखता है। इस मंन्दिर को देखकर इस बात के स्पष्ट प्रमाण मिलते हैं कि इसके निर्माण कार्य में इतिहास का भी ध्यान रखा गया है।

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