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13 डेस्टिनेशन में शामिल द्रोणासागर का नहीं हुआ कायाकल्प

13 डेस्टिनेशन में शामिल तीर्थ द्रोणासागर का अब तक कायाकल्प नहीं हो पाया है। जबकि यहां पर्यटकों के साथ ही रोजाना एक हजार से अधिक लोग मॉर्निग और...

13 डेस्टिनेशन में शामिल द्रोणासागर का नहीं हुआ कायाकल्प
हिन्दुस्तान टीम,काशीपुरWed, 07 Jul 2021 05:21 PM
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काशीपुर। संवाददाता

13 डेस्टिनेशन में शामिल तीर्थ द्रोणासागर का अब तक कायाकल्प नहीं हो पाया है। जबकि यहां पर्यटकों के साथ ही रोज एक हजार से अधिक लोग मॉर्निग और इवनिंग वॉक के लिये पहुंचते हैं। द्रोणासागर के सौंदर्यीकरण के लिये पर्यटन विभाग की ओर से 14.97 करोड़ रुपये की डीपीआर शासन को भेजी गई है, लेकिन अभी तक शासन से स्वीकृति नहीं मिल पाई है।

महाभारतकालीन तीर्थ द्रोणासागर पांडवकालीन पुरातात्विक महत्व का स्थल है। किवदंती के अनुसार यहां तुलसीदास के अलावा, दयानंद सरस्वती और कई महापुरुष आये। तुलसीदास का रोपा गया वटवृक्ष आज भी यहां मौजूद है। वहीं यह भी माना जाता है कि यहां पांडवों ने आर्चाय द्रोणाचार्य से शिक्षा ग्रहण की। चीनी यात्री ह्वेसांग ने भी अपनी यात्रा वर्णन में द्रोणासागर का उल्लेख किया है। इसके साथ ही गोविषाण टीला पौराणिक धरोहर है। देखरेख के अभाव में परिसर में स्थित झील घास का मैदान बन गई है। त्रिवेंद्र सरकार ने 13 जिलों में एक-एक पर्यटन स्थल को प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी। इसमें द्रोणासागर को भी शामिल किया था। पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने को कार्ययोजना भी बनाई गई। इसमें झील के चारों और ट्रैक में लाइटें बैंच, फूड पार्क, पार्किंग, किड्स जोन व अन्य को शामिल किया था। कई अधिकारियों ने यहां का निरीक्षण भी किया, लेकिन अभी तक इसका कायाकल्प नहीं हो पाया है। हालांकि इसकी देखभाल की जिम्मेदारी प्रशासन के पास है, इसके बावजूद प्रशासन इस पर कोई ध्यान नही दें रहा है।

द्रोणासागर के सौंदर्यीकरण और इसके पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिये 14.97 लाख की डीपीआर तैयार कर शासन को भेजी गई है। स्वीकृति मिलने के बाद काम शुरू करा दिया जाएगा।

-पीके गौतम, जिला पर्यटन अधिकारी।

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