अब उत्तराखंड में मकान बनाना होगा आसान, बिना इस कागज के बना सकेंगे सपनों का आशियाना
उत्तराखंड की सरकार द्वारा इस नियम के लागू हो जाने के बाद लोगों के लिए घर बनाना पहले से और आसान हो जाएगा। क्या है वो नियम और कहां होने जा रहा है लागू?

अपने सपनों का आशियाना बनाना, सबकी दिली इच्छा होती है। घर बनाने से जुड़े एक नए नियम पर उत्तराखंड की सरकार विचार कर रही है। हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण के इस नियम के लागू हो जाने के बाद लोगों के लिए घर बनाना पहले से और आसान हो जाएगा। क्या है वो नियम और कहां होने जा रहा है लागू?
बिना नक्शा पास कराए बना सकेंगे मकान
हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण से ग्रामीण इलाके के आबादी वाले क्षेत्रों में मकान बनाने के लिए अब नक्शा नहीं पास कराना होगा। लोग बिना नक्शे के ही अपना मकान बना सकेंगे। प्राधिकरण की गुरुवार को 84वीं बोर्ड बैठक में यह फैसला लिया गया है।
इस दौरान बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया है कि नगर निकाय क्षेत्र की सीमा से बाहर बसे गांवों के पुराने आबादी वाले क्षेत्रों (श्रेणी छह (2) की भूमि) पर बने या बनने वाले मकानों को अब मानचित्र स्वीकृति कराने की जरूरत नहीं होगी। इस निर्णय को लेकर विकास प्राधिकरण ने शासन को प्रस्ताव भेज दिया है।
माना जा रहा है कि शासन से स्वीकृति मिलते ही यह नियम प्रभाव में आ जाएगा। इससे हजारों ग्रामीण परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा। गुरुवार को बैठक में एचआरडीए ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। इसमें से एक ग्रामीण क्षेत्रों को लेकर किया गया है। वहीं बोर्ड बैठक में श्रवणनाथ नगर, भूपतवाला, सप्तसरोवर व शिवालिक नगर में आवासीय भवनों के व्यवसायिक उपयोग पर चिंता जताई गई। यहां आवासीय नक्शे पास कराने के बाद उसका व्यवसायिक प्रयोग हो रहा है। इसमें इन इलाकों में अगले एक माह तक कोई नक्शा स्वीकृत नहीं किया जाएगा। साथ ही इस तरह के मामलों में निगरानी रखी जाएगी।
क्या होती है श्रेणी छह-दो की भूमि?
विकास प्राधिकरण के अनुसार, श्रेणी छह-दो की भूमि में वे अकृषित क्षेत्र शामिल होते हैं जो लंबे समय से गांव की मूल आबादी के रूप में मौजूद हैं। इसमें आबादी, चकरोड, रास्ता, खलिहान, स्कूल, पंचायत घर, खेल मैदान, खाद गड्ढा जैसी भूमियां आती हैं। इन क्षेत्रों में लोगों ने वर्षों से रहन-सहन और निर्माण कार्य किए हुए हैं, लेकिन वर्तमान में नक्शा पास कराने की बाध्यता के कारण उन्हें कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
क्या कहते हैं अधिकारी
उपाध्यक्ष अंशुल सिंह ने कहा कि प्राधिकरण का उद्देश्य विकास को गति देना है, न कि लोगों को अनावश्यक प्रक्रियाओं में उलझाना। पुराने आबादी क्षेत्रों को नक्शा पास कराने से छूट देने का प्रस्ताव जनहित में है और इससे लाखों ग्रामीणों को फायदा पहुंचेगा।
ग्रामीणों को क्यों है इसकी जरूरत?
गांवों में पुराने समय से बसे लोग जब अपने मकानों में मरम्मत या नया निर्माण कराना चाहते हैं, तो विकास प्राधिकरण से नक्शा पास कराना अनिवार्य होता है। इससे न केवल वक्त और धन की बर्बादी होती है, बल्कि कई बार फॉर्मेलिटी पूरी न होने पर निर्माण कार्य अवैध घोषित हो जाता है।
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