वन विकास निगम के जीएम और डीएफओ हरिद्वार ने शनिवार को पुलिस बल के साथ रवासन नदी में छापेमारी की। मौके पर टीम ने रवासन नदी के गेट 2 से 4 ट्रैक्टर ट्रालियां और 1 डंपर को बिना टोकन खनन भरते हुए पाया। सभी को सीज कर दिया गया।
शनिवार सुबह 7 बजे टीम रवासन नदी पहुंची। बताते चलें कि लालढांग क्षेत्र के रवासन और कोटावाली नदी में वन विकास निगम द्वारा खनन चुगान का कार्य कराया जा रहा है। लेकिन स्थानीय खनन माफियाओं द्वारा सांठगांठ कर बड़े स्तर पर अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा था। जिसकी सूचना समय समय पर उच्चाधिकारियों को मिल रही थी। जबकि वन विभाग और वन विकास निगम ने अवैध खनन पर लगाम लगाने को सुरक्षा दल की दो टीमें भी तैनात की थी। लेकिन फिर भी अवैध खनन पर लगाम नहीं लग पा रहा था। वन विभाग ने जनवरी में अब तक लगभग दर्जन भर ट्रैक्टर-ट्राली और डंपर अवैध खनन में सीज भी किए। लेकिन फिर भी अवैध खनन पर लगाम नहीं लग पा रहा था।
वन विकास निगम के महाप्रबंधक निशांत वर्मा ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से बड़े स्तर पर अवैध खनन की शिकायत मिल रही थी। जिसमे सीधे तौर पर राजस्व का नुकसान हो रहा था। जिसमें वन प्रभागीय अधिकारी नीरज शर्मा के नेतृत्व में पुलिस के साथ मिलकर शनिवार को एक छापेमारी की गई। जिसमें रवासन नदी गेट 2 के लॉट में 4 ट्रैक्टर-ट्रालियां और एक डंपर बिना टोकन अवैध रूप से खनन भरते हुए पाए गए। जिनके खिलाफ वन विभाग द्वारा संबंधित आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। अवैध खनन के खिलाफ आगे भी अभियान जारी रखा जाएगा।
दोनों विभागों के अधिकारियों ने छापेमारी को गुप्ता रख था, लेकिन टीम के पहुंचने से पहले ही खनन में जुटे लोगों को इसकी सूचना मिल गई। जिससे अधिकांश वाहन वहां से निकलने में कामयाब हो गए। छापेमारी के दौरान सभी 4 घाटों पर अफरातफरी का माहौल बना रहा।
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कर्मचारियों की मिलीभगत
बगैर अनुमति के खनन करते वाहन पकड़ने के बाद सीज तो कर दिए गए, लेकिन निगम के कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिनके कारण सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंच रहा था। निगम के महाप्रंबधक ने उन्हें कड़ी चेतावनी देकर भविष्य में सचेत रहने के निर्देश दिए।