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हरिद्वार में ट्रेड यूनियनों ने निकाला जुलूस VIDEO

सीआईटीयू के नेतृत्व में ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ यूनियन कार्यालय से चंद्राचार्य चौक तक विरोध जुलूस निकाला। बारिश के बीच बुधवार को यह जुलूस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों...

हरिद्वार में ट्रेड यूनियनों ने निकाला जुलूस VIDEO
हिन्दुस्तान टीम,हरिद्वारWed, 08 Jan 2020 06:03 PM
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सीआईटीयू के नेतृत्व में ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ यूनियन कार्यालय से चंद्राचार्य चौक तक विरोध जुलूस निकाला। बारिश के बीच बुधवार को यह जुलूस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर निकाला गया था। इससे पहले भेल परिसर स्थित यूनियन कार्यालय में एक सभा का आयोजन किया गया। सीटू के प्रांतीय महामंत्री एमपी जखमोला ने कहा कि बारिश के बाद भी लोग सड़कों पर उतरे है। क्योंकि केंद्र सरकार के प्रति लोगों के मन में गुस्सा भरा हुआ है। बेरोजगारी से निपटने को सरकार के पास कोई योजना नहीं है। श्रमिक विरोधी नीतियों के कारण श्रमिक भुखमरी के कागार पर आ गया है। सीटू जिलाध्यक्ष पीडी बलोनी ने कहा केंद्र व राज्य सरकार द्वारा अपनाई जा रही श्रम विरोधी नीतियों का विरोध करते हुए कहा कि सरकार सबसे पहले निजीकरण की प्रक्रिया को तुरंत रोके। खाली पदों को भरने के साथ ही ठेका प्रथा प्रणाली को बंद करे। संगठित व असंगठित क्षेत्र के विभिन्न उद्योगों में काम करने वाले श्रमिकों को सामान्य जीवन जीने को न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपए देने के साथ ही महंगाई भत्ता भी दे। बैठक में सीटू के जिला मंत्री इमरत सिंह ने कहा कि सरकार की गलत नीति के कारण देश में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। हरिद्वार के उद्योगों में श्रमिकों का शोषण हो रहा है। शिकायत करने पर श्रमिकों के बाजाय अधिकारी कंपनी प्रबंधन का पक्ष लेते है। ठेका प्रथा के जरिए श्रमिकों को रोजगार मिला हुआ है।

ऐसे में श्रमिक कानून के प्रावधानों को लागू करने की बात करना भी बेमानी है।बैठक में अन्य वक्ताओं ने कहा कि स्वास्थ्य मिशन के तहत राज्य में आशा कार्यकत्रियों के लिए मासिक मानदेय सुनिश्चित किया जाना चाहिए। भोजन माताओं को प्रतिमाह कम से कम पांच हजार का मानदेय दिया जाना चाहिए। वक्ताओं ने कहा कि सरकार की गलत नीतिया ही श्रमिकों को आंदोलन करने को मजबूर करती है। अगर देश का श्रमिक व किसान ही भूखा रहे तो वह देश विकास कैसे कर सकता है। बैठक और प्रदर्शन करने वालों में उदयवीर सिंह, आरसी धीमान, संदीप कुमार, सतेंद्र कुमार, अशोक चौधरी, कुलदीप कुमार, आरके बड़ोनी केपी केस्टवाल, चंडी प्रसाद शर्मा, धीरेंद्र कुमार, कदम सिंह, वसीम अख्तर, दिनेश कुमार, अम्बरीश कुमार, विनोद कुमार, मोर सिंह, रविंद्र कुमार, राजकुमार, नैन सिंह त्यागी, बीरबल, नितीन, प्रमोद कुमार, विजयपाल, सुरेंद्र सिंह, मदन, बलबीर आदि शामिल थे। ये थी मांगेंआंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को राज्य कर्मचारी घोषित किया जायेश्रमिकों का शोषण, श्रम कानून का सख्ती से पालन होसरकारी संस्थानों में भर्ती से रोक हटाई जाएश्रमिकों को न्यनूतम वेतन 21 हजार दिया जाये

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