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हरिद्वार जेल में मिले तीन मोबाइल फोन, अधिकारियों ने मामला दबाया

हरिद्वार रोशनाबाद जेल में तीन मोबाइल फोन मिले हैं। आईजी जेल ने इस मामले की जांच बैठा दी...

हरिद्वार जेल में मिले तीन मोबाइल फोन, अधिकारियों ने मामला दबाया
हिन्दुस्तान टीम,हरिद्वारTue, 29 Jan 2019 11:16 PM
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हरिद्वार रोशनाबाद जेल में तीन मोबाइल फोन मिले हैं। आईजी जेल ने इस मामले की जांच बैठा दी है। हालांकि हरिद्वार जेल के अधिकारियों ने इस मामले को छिपाए रखा है। मीडिया से भी हरिद्वार के अधिकारियों ने इस संबंध में बात करने से इनकार कर दिया है। हरिद्वार जेल एक बार फिर मोबाइल फोन मिलने के बाद सुर्खियों में है, लेकिन इस बार हरिद्वार जेल के अधिकारियों ने पूरी तरह मामले को छिपाए रखा। पिछली बारी की तरह न तो पुलिस में शिकायत दी गई और न ही अधिकारियों को इस मामले की जानकारी दी गई। बता दें कि जेल में तीन मोबाइल बीते सोमवार को मिले हैं। दो मोबाइल फोन बैग बना रहे कैदी विपिन और समीम के पास मिले हैं, जबकि एक मोबाइल फोन बैरक संख्या पांच ए में चार्ज होता मिला है। दो मोबाइल सोमवार सुबह मिले जिसके बाद बैरकों में चेकिंग की गई तो पांच ए बैरक में एक मोबाइल फोन चार्ज होता मिला। चार्ज होने वाला मोबाइल फोन किस कैदी का है इस बात की जानकारी नहीं हो सकी। एक साथ तीन मोबाइल फोन मिलने की बात अधिकारियों ने हजम कर दी। लेकिन ज्यादा दिनों तक बात दबी नहीं रही। मंगलवार को जेल से जानकारी पहले तो मीडिया के पास पहुंच गई और उसके बाद आईजी जेल पीवीके प्रसाद को भी मामले की जानकारी हो गई। जानकारी होते ही पीवीके प्रसाद ने मामले की जांच बैठा दी। आईजी जेल पीवीके प्रसाद ने बताया कि मोबाइल फोन मिलने की जानकारी मिली है। मामले की जांच की जा रही है।आखिर क्यों छिपाया गया मामलामोबाइल मिलने की बात जेल के कुछ ही अधिकारियों को तक पहुंची, लेकिन जेल अधिकारियों ने पूरे मामले को इस तरह छिपाया मानों कुछ हुआ ही नहीं हो। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर मामले को क्यों छिपाया गया। इससे पहले भी सोमवार को बुजुर्ग के पास चार्जर और बैटरी मिलने की बात को कुछ अधिकारियों ने छिपाया था। जबकि कुछ अधिकारी चार्जर और बैटरी मिलने की बात को स्वीकार कर रहे हैं।नहीं सुधर रही हालत जिलाधिकारी दीपक रावत ने हरिद्वार जेल की हालत सुधारने का दावा किया था। जिलाधिकारी ने दावा किया था कि जेल की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, लेकिन आज तक कैमरे नहीं लगाए गए।पुराने मामले की जांच 16 दिन चली थी जांच पिछले साल जेल से मोबाइल फोन मिलने और कैदी का वीडियो वायरल होने के मामले में जांच 16 दिन चली थी। बीते साल मार्च माह में मामला का संज्ञान लेते हुए शासन से तत्कालीन प्रमुख सचिव (गृह) आनंदबर्द्धन ने इसकी जांच बैठा दी थी। जांच की कमान तत्कालीन अपर महानिरीक्षक जेल तुलसीराम को सौंपी गई और उनके साथ हरिद्वार से अपर जिलाधिकारी (वित्त) ललित नारायणा मिश्र, तत्कालीन मुख्य चिकित्साधिकारी अशोक गैरोला और तत्कालीन एसपी सिटी ममता वोहरा को बतौर सदस्य नामित किया गया। 16 दिन तक चली जांच में कई बार टीम ने जेल में जाकर पूछताछ की। जिसमें अधिकारियों के अलावा भी कई लोगों की खामियां सामने आईं।

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