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अनिता की जीत से कांग्रेस को मिली संजीवनी

नगर निगम मेयर पद पर अनिता शर्मा की जीत से हरिद्वार में कांग्रेस को संजीवनी मिल गई...

नगर निगम मेयर पद पर अनिता शर्मा की जीत से हरिद्वार में कांग्रेस को संजीवनी मिल गई...
1/ 4नगर निगम मेयर पद पर अनिता शर्मा की जीत से हरिद्वार में कांग्रेस को संजीवनी मिल गई...
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हिन्दुस्तान टीम,हरिद्वारWed, 21 Nov 2018 11:40 PM
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नगर निगम मेयर पद पर अनिता शर्मा की जीत से हरिद्वार में कांग्रेस को संजीवनी मिल गई है। हालांकि इस सियासी सच को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है कि इस जीत में अनिता के पति अशोक शर्मा और उनके समर्थकों की मेहनत का भी योगदान है। हरिद्वार में गुटबंदी से जूझ रही कांग्रेस ने इस बार टीम वर्क दिखाने का प्रयास जरूर किया। उधर,राज्य के कैबिनेट मंत्री के गृह क्षेत्र में जीत दर्ज करके अनिता शर्मा का सियासी कद भी बढ़ गया है। क्योंकि अनिता की तुलना में भाजपा के पास अनुभवी टीम और रणनीति की कोई कमी नहीं थी। फिर भी अनिता ने जीत हासिल करके भाजपा के किले में सेंध लगाने का काम किया है।राज्य गठन के बाद से एक बार नगरपालिका अध्यक्ष पर जीत के बाद से नगर में कांग्रेस लगातार हारती आ रही थी। बीते लोकसभा और विधानसभा में शिकस्त के बाद कांग्रेस की गुटबंदी भी खासी मुखर हो गई थी। पूर्व सीएम हरीश रावत प्रचार के लिए आए, लेकिन उनकी कहीं जनसभा नहीं कराई जा सकी। राज्य गठन से पहले नगर पालिका पर अधिकांश कब्जा कांग्रेस का रहा। राज्य गठन बाद वर्ष 2003 में सतपाल ब्रह्मचारी ने कांग्रेस के लिए अध्यक्ष का चुनाव जीता। लेकिन इसके बाद से नगरपालिका अध्यक्ष और निगम बनने के बाद मेयर पर भाजपा काबिज रही। तत्कालीन हरीश रावत सरकार में कांग्रेस में गुटबंदी इतनी मुखर हो गई कि स्थानीय नेता पार्टी कार्यक्रमों में अलग-थलग दिखाई देने लगे। नतीजा लोकसभा के बाद विधान सभा चुनाव में कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी। नए प्रदेश प्रभारी के तल्ख तेवरों के बाद नेता एक मंच पर दिखाई देने लगे। यही वजह रही अनिता को मेयर का टिकट दिलाने में सभी नेताओं ने अपनी सहमति जता दी। तीन बार लगातार पार्षद रह चुकीं अनिता के पति अशोक शर्मा भी दो बार सभासद रहे हैं।कई नेताओं के बूथों पर अनिता को मिले मुट्ठी भर वोटजो नेता भाषणों में अनिता की जीत का दम भर रहे थे। उन्हीं के बूथों पर अनिता को मुट्ठी भर वोट मिले। ऐसे में इन नेताओं की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।

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