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मंच पर सीट न मिलने पर संतों ने किया कार्यक्रम का बहिष्कार

मंच पर सीट पर मिलने से नाराज संत समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता और भारत साधु समाज के राष्ट्रीय महामंत्री समेत अन्य संत कार्यक्रम का बहिष्कार कर लौट गए।...

मंच पर सीट न मिलने पर संतों ने किया कार्यक्रम का बहिष्कार
हिन्दुस्तान टीम,हरिद्वारSun, 26 Sep 2021 11:40 PM
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मंच पर सीट पर मिलने से नाराज संत समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता और भारत साधु समाज के राष्ट्रीय महामंत्री समेत अन्य संत कार्यक्रम का बहिष्कार कर लौट गए। संतों ने संत समिति के पदाधिकारियों पर आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ अभियान छेड़ने की चेतावनी दी। संतों को मनाने के लिए कई संत भी पहुंचे, लेकिन संत कार्यक्रम का बहिष्कार कर वापस लौट गए।

रविवार को आस्था पथ पर आयोजित कार्यक्रम में संत सिरोमणि वामदेव की प्रतिमा का अनावरण किया गया। संत समिति की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसमें हरिद्वार के अलावा बाहर के संतों को भी बुलाया गया था। कार्यक्रम शुरू हो चुका था। मुख्यमंत्री के आने का समय ही हुआ था कि संत समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता बाबा हठयोगी, भारत साधु समाज के राष्ट्रीय महामंत्री ऋषिश्वरानंद, श्रीमहंत दुर्गादास, श्रीमहंत विष्णुदास समेत अन्य संत पहुंच गए। बाबा हठयोगी मंच पर जाने लगे। पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोक दिया। यह देख संत आगबबूला हो गए। पुलिसकर्मी से नोकझोंक होने लगी। सुरक्षाकर्मियों को दी गई लिस्ट में बाबा हठयोगी का नाम नहीं था। कार्यक्रम स्थल में पहुंचने के बाद भी संतों का स्वागत में नाम नहीं लिया गया। इससे बाबा हठयोगी नाराज हो गए। साथी संत ऋषिश्वरानंद, दुर्गादास, विष्णुदास समेत अन्य संतों के साथ कार्यक्रम का बहिष्कार कर बाहर आ गए। यह देख निर्मल अखाड़ा का कठोरी महंत जसवंदिर सिंह और महंत अरुणदास संतों को मनाने आ गए।

बाबा हठयोगी ने कहा कि संत समिति के पदाधिकारी लोगों को भी गुमराह कर रहे हैं। संतों को तोड़ रहे हैं अपमान कर रहे हैं। कहा कि इसके लिए वह अभियान भी छेड़ेंगे और बताएंगे कि संत समिति में क्या किया जा रहा है। संत समिति में आये पदाधिकारी समिति के नाम को बदनाम करने में लगे हैं।

उन्होंने कहा कि अखिल भारती संत समिति का राष्ट्रीय प्रवक्ता होने के नाते कार्यक्रम का बहिष्कार कर रहा हूं। राष्ट्रीय प्रवक्ता के साथ इस तरह का व्यवहार किया गया है। पुलिस के पास नाम नहीं दिया गया था। ऊपर जाने से रोक दिया गया। उन्होंने इसे संत समिति के नाम पर धब्बा बताया।

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