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समग्र विकास से ही देश में लाया जा सकता है बदलाव : सुरेश भैय्याजी

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा कि समग्र विकास से ही देश में बदलाव लाया जा सकता...

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा कि समग्र विकास से ही देश में बदलाव लाया जा सकता...
1/ 2राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा कि समग्र विकास से ही देश में बदलाव लाया जा सकता...
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा कि समग्र विकास से ही देश में बदलाव लाया जा सकता...
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हिन्दुस्तान टीम,हरिद्वारTue, 25 Sep 2018 11:15 PM
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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा कि समग्र विकास से ही देश में बदलाव लाया जा सकता है। किसी भी समाज के विकास को लेकर समग्र विकास की सोच के साथ न्याय मूल्य व्यवस्था प्रमाणिकता के साथ होनी जरूरी है। विज्ञान का उपयोग समाज के विकास के लिए होना चाहिए। पश्चिमी विचारधारा को अपने आचरण से समाप्त करना होगा। तभी भारत को वैभवशाली दिशा में ले जाया जा सकता है। यह बातें सुरेश भैय्याजी ने मंगलवार को भेल सभागार में संघ द्वारा आयोजित संगोष्ठी में कहीं। संगोष्ठी का विषय विकास की अ‌वधारणा भारतीय चिंतन के संदर्भ में रखी गई थी। उन्होंने कहा कि जीवनशैली में बदलाव लाते हुए विकास के मार्ग पर सभी को एक दूसरे का हाथ पकड़कर चलना होगा। बगैर समाज के कोई अकेले नहीं जी सकता है। हर किसी को समाज के लिए भी कुछ न कुछ करना होगा। प्रमाणिकता के साथ ही यह सब करना होगा। भैय्याजी ने कहा कि सभी वर्ग इसी समाज के हैं। व्यक्ति के विकास में ही समाज का विकास है। जीवनशैली में पश्चिमी देशों का प्रभाव मनुष्य के व्यवहार व आचरण के साथ ही राष्ट्र पर भी हुआ है। हमें चिंतना करना होगा। आचरण व्यवहार को सुधारते हुए नैतिक मूल्यों की रक्षा करनी होगी।पर्यावरण, जल संरक्षण, कृषि समेत तमाम सामायिक विषयों को एकसूत्र में पिरोते हुए सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा कि विज्ञान का उपयोग समाज के विकास के लिए हो। इसी आधार पर सामाजिक, राजनीतिक चिंतन करते हुए आगे बढ़ना होगा। समाज का सहयोग हमें तभी मिलेगा जब हम सही दिशा में चल रहे होंगे। भौतिक सुखों का मतलब यह नहीं कि हम चिंतन करना ही छोड़ दें। सज्जनता वही है जो उसके पास हो और वह दूसरों के पास भी हो। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि सामूहिक चर्चा से ही कुछ नया सीखा जा सकता है। भविष्य की चिंता करते हुए आगे बढ़ना समाज हित में होता है। उपभोग की अधिक लालसा नहीं आवश्यक्ता से समग्रता को प्राप्त किया जा सकता है। भारतीय चिंतन को समझना जरूरी है। इस अवधारणा से हटकर दुनिया को इसका लाभ मिले, इस पर प्रमाणिकता के साथ काम करना होगा। सबको लाभ मिले यही संस्कृति है। इस दौरान मंच पर विभाग संघ संचालक रामेश्वर प्रसाद, जिला संघ संचालक कुंवर रोहिताश व जिलाकार्यवाह अंकित सैनी उपस्थित थे। संगोष्ठी में जिले भर के प्रबुद्ध लोग शामिल हुए।

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