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बच्चों को जन्म से ही प्रभावित करता डाउन सिंड्रोम

हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस के उपलक्ष्य में जागरूकता अभियान चलाया गया। इसमें महिलाओं को बीमारी के लक्षण और इलाज की...

बच्चों को जन्म से ही प्रभावित करता डाउन सिंड्रोम
हिन्दुस्तान टीम,रिषिकेषWed, 22 Mar 2023 06:30 PM
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डोईवाला, संवाददाता।

हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस के उपलक्ष्य में जागरूकता अभियान चलाया गया। इसमें महिलाओं को बीमारी के लक्षण और इलाज की जानकारी दी गयी।

बुधवार को स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की ओर से आयोजित जागरूकता कार्यक्रम का शुभारंभ हिमालयन आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रिंसिपल डॉ. अशोक देवरारी ने किया। उन्होंने कहा कि डाउन सिंड्रोम एक जेनेटिक डिसआर्डर है। यह बच्चों को जन्म से ही प्रभावित करता है। उन्हें अपना पूरा जीवन किसी न किसी अक्षमता के साथ गुजारना पड़ता है। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ. रुचिरा नौटियाल ने कहा कि हिमालयन हॉस्पिटल में डाउन सिंड्रोम की पहचान एवं जांच और गर्भावस्था की पहली तिमाही में एक विशेष अल्ट्रासाउंड के साथ खून जांच की सुविधा उपलब्ध है। उचित परामर्श के बाद सभी गर्भवतियां इससे लाभान्वित हो रही है। आमतौर पर एक बच्चा 46 क्रोमोसोम के साथ पैदा होता है। डाउन सिंड्रोम वाले शिशुओं में इनमें से किसी एक क्रोमोसोम की अतिरिक्त कॉपी होती है, जिसे ट्राइसॉमी कहा जाता है। यह अतिरिक्त क्रोमोसोम बच्चे के शरीर और मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है। यह शिशु के लिए मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की चुनौतियों का कारण बन सकता है। कार्यक्रम में मुख्य चिकित्साधीक्षक डॉ. एसएल जेठानी, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल रावत ने भी सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के इलाज के विषय में जानकारी दी। मौके पर डॉ. पूर्णिमा, डॉ. रश्मि, डॉ. आंचल, डॉ. निधि, राखी आदि उपस्थित रहे।

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