बोले हरिद्वार: रानीपुर मोड़ पर तीन दशक पुरानी जलभराव की समस्या का अब तक स्थायी समाधान
हरिद्वार के रानीपुर मोड़ पर बरसात के दौरान जलभराव की समस्या से इस बार भी लोग परेशान हैं। तेज बारिश के बाद सड़कें पानी में डूब गई हैं।

हरिद्वार का रानीपुर मोड़, जिसे शहर का सबसे पॉश इलाका माना जाता है, आज भी जलभराव की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। यह समस्या पिछले तीन दशकों से यहां के व्यापारियों और स्थानीय निवासियों की नींद उड़ा रही है। नामी कंपनियों के शोरूम, लगभग 1000 दुकानदार, कई बड़े अस्पताल और जांच लैब्स से सजे-धजे इस इलाके की तस्वीर हर बार बारिश आते ही पूरी तरह बदल जाती है। भगत सिंह चौक और चंद्राचार्य चौक जैसे शहर के दो व्यस्ततम चौराहों वाला यह क्षेत्र तेज बारिश के साथ ही तालाब में तब्दील हो जाता है। कई बार तो हालात बाढ़ जैसे हो जाते हैं—पानी दुकानों और घरों में घुस जाता है, जिससे व्यापारियों का माल और लोगों का घरेलू सामान खराब हो जाता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जलभराव का कारण सिर्फ रानीपुर मोड़ की बारिश नहीं है, बल्कि भेल क्षेत्र, ज्वालापुर रेलवे स्टेशन, शिवलोक कॉलोनी, शंकर आश्रम, पुराना रानीपुर मोड़ और पहाड़ों से आने वाला पानी भी यहीं आकर इकट्ठा हो जाता है। नालों की क्षमता कम होने के कारण रेलवे ब्रिज और भगत सिंह चौक के पास सारा पानी जमा हो जाता है, जो फिर पूरे क्षेत्र में फैल जाता है। व्यापारियों के अनुसार, वर्ष 2015 में पंप लगाकर पानी निकालने की अस्थायी व्यवस्था जरूर की गई थी, लेकिन तेज बारिश में वह भी नाकाफी साबित होती है। आरोप यह भी है कि इस बार नालों की ठीक से सफाई नहीं कराई गई, कई स्थानों पर स्लैब टूटे पड़े हैं, और कुछ जगहों पर तो सीवर लाइनें तक क्षतिग्रस्त होकर गंदा पानी सीधे गंगा में जा रहा है। भगत सिंह चौक से गंगा की ओर जाने वाले दोनों प्रमुख नालों की क्षमता इतनी कम है कि जब अन्य नालों को इनसे जोड़ा गया, तो पानी सड़कों पर उफनने लगा। नतीजा यह होता है कि हर साल यहां छोटे-बड़े वाहन पानी में 'तैरते' नजर आते हैं। रेल अंडरपास के पास तो बड़े ट्रक और बसें तक डूबकर बंद हो जाती हैं। तेज बारिश के दौरान वाहनों के खराब होने और बहने की घटनाएं अब आम हो गई हैं, लेकिन प्रभावित व्यापारियों को कभी मुआवजा नहीं दिया जाता। कई बार अधिकारी और जनप्रतिनिधि निरीक्षण करने आते हैं, आश्वासन देते हैं, लेकिन स्थायी समाधान अब तक नहीं हो पाया है। शहर की रौनक माने जाने वाला रानीपुर मोड़ हर साल जलभराव से सिर्फ यातायात व्यवस्था को नहीं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी गहरा नुकसान पहुंचाता है। तीन दशक से चली आ रही यह समस्या अब लोगों के सब्र का इम्तहान ले रही है। स्थानीय लोगों और व्यापारियों का कहना है कि जिम्मेदार विभाग और जनप्रतिनिधि इस गंभीर समस्या को हल करने के बजाय हर बार बरसात खत्म होते ही इसे भुला देते हैं। ऐसे में एक बार फिर व्यापारियों और निवासियों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि रानीपुर मोड़ की जलभराव की समस्या का स्थायी और ठोस समाधान जल्द किया जाए। बोले जिम्मेदार रानीपुर मोड़ पर जलभराव की समस्या के समाधान के लिए बड़ी योजना बनाई जा रही है। खुद मौके पर जाकर निरीक्षण किया था। बरसात समाप्त होने के बाद योजना को धरातल पर उतारा जाएगा। - मयूर दीक्षित, डीएम हरिद्वार
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