संतों के दर्शनों को अवतार लेते हैं भगवान
शिवमंदिर भेल सेक्टर एक की ओर से आयोजित श्रीराम कथा में कथा व्यास ऋषि किरण महाराज ने साधकों को भगवान श्रीराम के जन्म के प्रसंगों का श्रवण कराया। कहा कि भगवान का अवतार राक्षसों और पापियों को मारने के...
शिवमंदिर भेल सेक्टर एक की ओर से आयोजित श्रीराम कथा में कथा व्यास ऋषि किरण महाराज ने साधकों को भगवान श्रीराम के जन्म के प्रसंगों का श्रवण कराया। कहा कि भगवान का अवतार राक्षसों और पापियों को मारने के लिए नहीं होता, अपितु ऋषि मुनियों और सिद्ध पीठों के दर्शन के लिए होता है।
उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम के अवतार लेने का कारण दशरथ का पुत्र बनना नहीं था। अपितु पिछले जन्म से प्रतीक्षा कर रहे भक्त केवट, माता शबरी, सुतीक्षण, मारीच, ऋषि भारद्वाज, वाल्मीकि, अगस्त्य मुनि के आश्रम के दर्शन करना था। उन्होंने कहा कि राजा दशरथ का कोई पुत्र नहीं था। ऋषि वशिष्ठ मुनि पहले दशरथ के गुरु बनने के लिए तैयार नहीं थे। जब वशिष्ठ मुनि को पता चला कि स्वयं नारायण पुत्र के रूप में दशरथ के घर आ रहे हैं, तो उन्होंने गुरु बनना स्वीकार कर लिया था। कहा कि जिस परिवार पर संतों की कृपा और आशीर्वाद रहता है, वहां भगवान को आना ही पड़ता है। कहा कि भगवान श्रीराम ने ताड़का और श्रीकृष्ण ने पूतना का वध किया। क्योंकि जिस स्त्री की राक्षसी प्रवृत्ति होती है, उसकी संतान भी राक्षस ही होती है। इनको मार दिया जाए तो राक्षस पैदा ही नहीं होंगे।