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ब्रह्मलीन हंसदेवाचार्य को त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति बताया

संतों ने कहा कि ब्रह्मलीन रामानंदाचार्य जगद्गुरू स्वामी हंसदेवाचार्य त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। उनके अचानक चले जाने से संतों ने कहा कि ब्रह्मलीन रामानंदाचार्य जगद्गुरू स्वामी हंसदेवाचार्य...

संतों ने कहा कि ब्रह्मलीन रामानंदाचार्य जगद्गुरू स्वामी हंसदेवाचार्य त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। उनके अचानक चले जाने से संतों ने कहा कि ब्रह्मलीन रामानंदाचार्य जगद्गुरू स्वामी हंसदेवाचार्य...
1/ 3संतों ने कहा कि ब्रह्मलीन रामानंदाचार्य जगद्गुरू स्वामी हंसदेवाचार्य त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। उनके अचानक चले जाने से संतों ने कहा कि ब्रह्मलीन रामानंदाचार्य जगद्गुरू स्वामी हंसदेवाचार्य...
संतों ने कहा कि ब्रह्मलीन रामानंदाचार्य जगद्गुरू स्वामी हंसदेवाचार्य त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। उनके अचानक चले जाने से संतों ने कहा कि ब्रह्मलीन रामानंदाचार्य जगद्गुरू स्वामी हंसदेवाचार्य...
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संतों ने कहा कि ब्रह्मलीन रामानंदाचार्य जगद्गुरू स्वामी हंसदेवाचार्य त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। उनके अचानक चले जाने से संतों ने कहा कि ब्रह्मलीन रामानंदाचार्य जगद्गुरू स्वामी हंसदेवाचार्य...
3/ 3संतों ने कहा कि ब्रह्मलीन रामानंदाचार्य जगद्गुरू स्वामी हंसदेवाचार्य त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। उनके अचानक चले जाने से संतों ने कहा कि ब्रह्मलीन रामानंदाचार्य जगद्गुरू स्वामी हंसदेवाचार्य...
हिन्दुस्तान टीम,हरिद्वारFri, 22 Feb 2019 10:37 PM
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संतों ने कहा कि ब्रह्मलीन रामानंदाचार्य जगद्गुरू स्वामी हंसदेवाचार्य त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। उनके अचानक चले जाने से संत समाज को भारी क्षति पहुंची है। जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि व अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि, आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर बालकानंद गिरि ने ब्रह्मलीन हंसदेवाचार्य के निधन पर शोक व्यक्त किया।उन्होंने अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें महान संत बताया।

उन्होंने कहा कि प्रयागराज कुंभ मेले में स्वामी हंसदेवाचार्य ने सभी संत महापुरुषों को एक मंच पर लाने का जो कार्य किया है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। संत समाज को एकजुट करने में उनकी अहम भूमिका रहती थी। स्वामी हंसदेवाचार्य ने सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति को विश्व पटल पर एक नए रूप में प्रस्तुत किया। अपनी तप और विद्वता के माध्यम से उन्होंने समाज से कुरीतियों को मिटाकर सदैव एक नई दिशा प्रदान की।

आचार्य महामंडलेश्वर बालकानंद गिरि ने कहा कि ब्रह्मलीन हंसदेवाचार्य संत समाज के प्रेरणा स्रोत थे। उनके अचानक चले जाने से देश के संत समाज को गहरा सदमा पहुंचा है। जिसकी भरपाई करना बहुत ही कठिन है और उनके अधूरे कार्यों को पूरा करना और उनके बताए मार्ग पर चलना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदास ने ब्रह्मलीन हंसदेवाचार्य के अचानक चले जाने पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए दिव्य आत्मा बताया और कहा कि 2010 के हरिद्वार महाकुंभ मेले सहित तमाम आयोजनों में उनका विशेष सहयोग रहता था। भूमा पीठाधीश्वर अच्युतानंद तीर्थ ने कहा कि ब्रहमलीन हंसदेवाचार्य ने अपने जीवनकाल में अनेकों धर्मसभाओं और आंदोलनों के माध्यम से सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने का कार्य किया। बाबा हठयोगी ने कहा कि इस समय श्री राम मंदिर निर्माण को लेकर जगदगुरु ने अपने हाथ में नेतृत्व थाम रखा था। संत समिति के सर्वेसर्वा होने के साथ ही जगदगुरु में नेतृत्व करने की अदभुत क्षमता थी। जगजदगुरु ने अपनी सेवा व निष्ठा से वो मुकाम हासिल किया था जो बहुत कम संतों को मिलता है। कालिका पीठाधीश्वर श्रीमहंत सुरेंद्रनाथ अवधूत, श्रीमहंत आशीष गिरि, महंत लखन गिरि, महंत डोगर गिरि, महंत रामरतन गिरि ने भी ब्रह्मलीन हंसदेवाचार्य को श्रद्धांजलि दी। श्रीमहंत धर्मदास, श्रीमहंत राजेंद्र दास, महंत गौरीशंकर दास, महंत राजकुमार दास, महंत रामशरण दास, महंत दुर्गादास, महंत रंजय सिंह, ऋषिश्वरानंद, मुखिया महंत भगतराम, महंत धूनीदास, महंत त्रिवेणी दास, महंत साधनानंद, ललितानंद गिरि, महामंडलेश्वर संतोषानंद सरस्वती, महंत जमनादास, रूपेंद्र प्रकाश, महंत श्याम प्रकाश, महंत विनोद महाराज, भाजपा नेता ओमप्रकाश जमदग्नि सहित बड़ी संख्या संतों व गणमान्य लोगों ने ब्रह्मलीन हंसदेवाचार्य को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

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